मेरे पिताजी यह सुनना चाहते थे,मैं आतंकी नहीं-संजय दत्त

sanjay-Duttनई दिल्ली फरवरी। पुणे की यरवदा जेल से रिहा होने के बाद अपने बांद्रा स्थित घर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सफाई देते हुए फिल्म अभिनेता संजय दत्त ने गुरूवार को कहा कि मैं आतंकवादी नहीं हूं।  मीडिया से उन्होंने गुजारिश की कि जब भी मेरे बारे में लिखें तो मेरे नाम के साथ 1993 बम ब्लास्ट को न जोड़ें। उन्होंने कहा कि मैं टाडा कोर्ट से बरी होकर निकला था। मैं आर्म्स एक्ट में कन्विक्ट हुआ था। टाडा कोर्ट के सभी आरोपों से बरी हूं। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनकी पत्नी मान्यता साथ थीं और बीच में ही उनके दोनों बच्चे भी आ गए जिससे माहौल थोड़ा भावनात्मक हो गया था। संजय ने कहा कि मैं 23 साल से जिस आजादी के लिए तरस रहा था आज वह आजादी महसूस कर रहा हूं। हालांकिए विश्वास नहीं हो रहा है। कुछ दिन लगेंगे मुझे यह समझने में कि मैं आजाद हो गया हूं।

संजय ने कहा कि रिहाई के बारे में जानकर मैं चार दिनों से कुछ खा नहीं रहा था और कल रात तो सोया नहीं था। यही सोच रहा था कि मैं गेट के बाहर जाऊंगा और अपने परिवार के साथ रहूंगा। हर कैदी को ऐसा महसूस होता है कि मैं यहां वापस नहीं लौटूंगा।उन्होंने अपनी पत्नी की तारीफ करते हुए कहा कि मान्यता मेरी बैटर हाफ नहींए बेस्ट हाफ हैं। वह काफी मजबूत हैं। मैं कभी कमजोर पड़ता हूं तो वह मजबूती देती हैं। उन्होंने दो बच्चों को पाला और हर मुश्किल निर्णय अकेले लिया। मुझे तो जेल में दाल रोटी मिल जाती थी। भगवान न करे जो इन्होंने सहा किसी और के साथ ऐसा हो। उन्होंने कहा कि जेल से मुझे जो पैसे मिले उसे मैंने मान्यता को सौंप दिया है।संजय ने जेल में अपने बिताए दिनों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मैंने जेल में पेपर बैग बनाए। रेडियो जॉकी का काम किया। सुबह 11 से शाम चार बजे तक रेडियो बजाते थे। इस प्रोग्राम के साथ मनोरंजन भी होता था। उन्होंने कहा कि जेल के अधिकारियों ने हमारा ख्याल रखा। उनका काम आर्मी से भी ज्यादा है। वह रक्षक हैं।

उन्होने कहा कि आज पिताजी नहीं हैं। उनकी बहुत याद आ रही है। आज वह जिंदा होते तो वह बहुत खुश होते। जब टाडा कोर्ट ने मुझसे कहा था कि तुम आतंकवादी नहीं हो तो यह मेरे लिए बड़ी बात थी। मेरे पिताजी यह सुनना चाहते थे। उस समय भी पिताजी नहीं थे। यह सुनने के लिए पिताजी होते तो उन्हें कितनी खुशी मिलती। उन्होंने कहा कि मेरी मां आज जिंदा नहीं हैं। जब मैं छोटा था तब उनका निधन हो गया था। वह कैंसर से पीडि़त थीं। जेल से रिहा होने के बाद मैं उनकी कब्र पर इसलिए गया कि मैं उनसे कहूं कि मैं आजाद हूं। यह सुनकर वह खुश होंगी। संजय काफी रिलेक्स महसूस कर रहे थे और दिल खोलकर मीडिया से बात कर रहे थे। बीच.बीच में वह भावुक हो जाते थे। जेल से बाहर आने के बाद धरती को नमन करने और तिरंगे को सैल्यूट करने के संदर्भ में कहा कि धरती मेरी मां है और तिरंगा मेरी जिंदगी है। मैं जब अपनी सजा काटकर बाहर आया तो धरती को छुआ और अपने तिरंगे को सैल्यूट किया। मुझे हिन्दुस्तानी होने पर गर्व है। मैं यहां पैदा हुआ हूं और यहीं मरूंगा।