कांग्रेस मुक्त हुआ उत्तराखंड-हरीश रावत सरकार बर्खास्त, राष्ट्रपति शासन

harish rawat ukनई दिल्ली देहरादून मार्च। केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड कांग्रेस के विजय बहुगुणा सहित बागी नेताओं की मुराद पूरी कर दी जो प्रदेश में हरीश रावत सरकार का खात्मा देखना चाहते थे। बीते एक सप्ताह से चल रहे राजनीतिक संकट के बीच रविवार को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। केंद्र सरकार ने यह फैसला उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल की रिपोर्ट के बाद लिया है।
सोमवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत को विश्वास मत परीक्षण करना था। इससे पहले ही एक न्यूज चैनल के स्टिंग आप्रेशन ने विधायकों की खरीदफरोख्त की मुख्यमंत्री से की गई बातचीत को उजागर कर दिया। जिसके कारण प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। उत्तराखंड का विधानसभा आम चुनाव अप्रैल मार्च 2017 में होना है। इसकी पहले ही राज्य की कांग्रेस सरकार संकट में घिर गई।
शनिवार को असम से लौटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी। डेढ़ घंटे चली इस बैठक में उत्तराखंड के राजनीतिक हालत पर चर्चा करते हुए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया था।
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को कानूनी चुनौती दिए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को लोकतंत्र में यकीन नहीं हैं। यह बात फिर से खुलकर सामने आ गई है।
इसके पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन सामने आने के बाद बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। स्टिंग में हरीश रावत को सदन में विश्वासमत परीक्षण से पहले बागी विधायकों का समर्थन जुटाने के लिए उनसे सौदेबाजी करते हुए देखा गया। विधानसभा स्पीकर ने नौ बागी कांग्रेस विधायकों को शनिवार की रात को अयोग्य ठहरा दिया था। इसके बाद विधानसभा का अंकगणित पूरी तरह बदल गया था। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल के कांग्रेस के उन नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले से 70 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या 61 रह गई थी। इन नौ विधायकों ने रावत के खिलाफ बगावत की और बीजेपी से हाथ मिला लिया था।
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