“सुब्रतरॉय को विदेश यात्रा के लिए 2 हफ्ते की अनुमति थी फिर भी नहीं गए”

Subrata-Roy-Sahara-PTIलखनऊ अप्रैल। सहारा समूह ने अपने मुखिया सुब्रत रॉय के खिलाफ सेबी के वकील वकील अरविंद दातार के बयान को आपत्तिजनक एवं निराधार करार दिया है। समूह के सुप्रीमकोर्ट में वकील गौतम अवस्थी ने कहा कि दातार का वक्तव्य पूरी तरह मनगढं़त एवं बेबुनियाद है। सुप्रीम कोर्ट में सेबी के वकील अरविन्द दातार ने दिल्ली में एक लेक्चर के दौरान कहा था कि जेल भेजे जाने से कुछ हफ्ते पहले रॉय विदेश जाना चाहते थे।
एक प्रेस रिलीज जारी कर समूह के वकील ने कहा कि जिस समय सुप्रीमकोर्ट ने सहारा के खिलाफ सख्ती दिखानी शुरू की थी उस समय सहाराश्री विदेश में थे और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए वह विदेश से तुरंत ही वापस आ गए थे। नवंबर 2013 में सुप्रीमकोर्ट ने सहाराश्री एवं अन्य निदेशकों के बिना अनुमति देश छोडऩे पर पाबंदी लगादी थी। परन्तु बाद में सुप्रीमकोर्ट ने सुब्रतरॉय को विदेश यात्रा के लिए 2 हफ्ते की अनुमति दी थी फिर भी वह विदेश नहीं गए।समूह ने जोर देकर कहाकि उसने 2012 में ही अपने निवेशकों को 95 प्रतिशत रकम लौटा दी थी और आज तक इस तथ्य को गलत साबित नहीं किया जा सका है।
सेबी के हाल ही में अपने चौथे ऑल इंडिया एडवरटिजमेंट के द्वारा 144 प्रकाशनों में निवेशकों को अपना पैसा वापस पाने के लिए यह अंतिम मौका होने की बात कहने को उद्धरित करते हुए सहारा ने कहा कि अब सेबी एक तरह से अब स्वयं स्वीकार कर रही है कि किसी निवेशका पैसा बाकी नहींहै।
समूह ने कहा कि पिछले 43 महीनों से अब तक निवेशकों की तरफ से केवल 52.80 करोड़ रूपये की ही डिमांड सामने आई है जबकि सेबी के पास पहले से ही उसका ब्याज मिलाकर 13,700 करोड़ रूपया जमाहै और सेबी ने अभी तक केवल 51.84 करोड़ रूपया ही निवेशकों को वापस किया है।
समूह ने ये भी कहाकि उसे सहाराश्री जमानत के लिए केवल 5300 करोड़ रूपया जिसमें 5000 करोड़ रूपये की बैंक गारंटी भी शामिल है चुकाना है। जबकि सेबी के पास उसकी 40,000 करोड़ रूपये कि परिसम्पत्तियां हैं।
समूह का कहना था कि इस प्रकार वह सेबी को कुल 59 हजार करोड़ रूपये कि सिक्योरिटी जमा कर रही है। सहारा का यह भी कहना था कि यदि उसके द्वारा बिक्री के लिए सौंपी गयी परिसम्पत्तियों की कीमत यदिसेबी 40 हजार करोड़ रूपये न आंक कर केवल 20 हजार करोड़ रूपये आंकता है तो भी उसके पास सिक्योरिटी 39 हजार करोड़ रूपये होती है जबकि उसकी देनदारी केवल 104 करोड़ की बन रही है।
समूह ने कहा कि उसने निवेशकों से नियम कानून के तहत ही जमा कराया था। सहारा ने 3 कंपनी रजिस्ट्रारों की लिखित अनुमति के बाद ही ओएफसीडीस्कीम के तहत निवेश आमंत्रित किया था। 7-8 सालों तक कम्पनी रजिस्ट्रारों ने बैलेंस शीट आदि लिया, प्रॉस्पेक्टस स्वीकार किया तथा दर्जनों बार छानबीन और जांच की थी। समूह का कहना था कि उसने हर साल कंपनी रजिस्ट्रार को अपना रिटर्न दाखिल किया था। समूह के वकील गौतम अवस्थी ने कहा कि सेबी का सहारा के खिलाफ कोई केस नहीं बनता था बल्कि उसे तीनों कंपनी रजिस्ट्रारों के खिलाफ केस दर्ज करना चाहिए था।
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