500 काले हिरन बेहाल:सूख गए जलस्रोत

black buckइलाहाबाद । मेजा की पहाड़ी वादियों में कुलांचे भरने वाले पांच सौ से अधिक काले हिरन प्यास से व्याकुल होकर इधर-उधर भटक रहे हैं। ज्यादातर जल स्रोत सूख गए हैं। प्यास बुझाने के लिए ये वन्य जीव ग्रामीणों के घरों तक पहुंच जा रहे हैं।इससे उनकी सुरक्षा खतरे में है।

इलाहाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर मेजा तहसील के चांदपुर खमरिया व महुली सहित आधा दर्जन गांवों की बंजर जमीन पर काले हिरन पिछले 20 साल से रह रहे हैं। शुरुआत में तो इनकी संख्या सौ से भी कम थी। लेकिन ग्रामीणों के संरक्षण में इनकी आबादी बढ़ती गई। आसपास के गांव के लोगों ने कई शिकारियों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। इसलिए ब्लैक बक स्वच्छंद होकर विचरण करते हैं। वन विभाग की तरफ से पांच तालाब खोदे गए हैं। वाच टॉवर बनाए गए हें।

यह इलाका मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। पहले तो जल संकट होने पर यहां के काले हिरन एमपी के जंगलों में चले जाते थे। लेकिन वहां के भी सभी जलस्रोत सूख चुके हैं। आसपास के गांवों के हेंडपंप, तालाब व कुंए भी सूख गए हैं। ग्रामीणों को पेयजल के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

खमरिया के किसान अजय सिंह बताते हैं कि प्यास से बेहाल वन्य जीव दोपहर व रात में घरों में घुस जाते हैं। कंटेनरों व बाल्टियों में रखा पानी पी जाते हैं। वन विभाग को नलकूप से भी तालाब को भरने में कई दिन लग जाते हैं। इस तालाब से गांव के लोग भी पानी भर ले जाते हैं। इसलिए पानी जल्दी खत्म हो जाता है। आलम यह है कि काले हिरन अब पानी की तलाश में बीस किलोमीटर दूर तक चले जा रहे हैं। (from- live Hindustan.com)