शराब के खिलाफ मुहिम: चूल्हा-चौका छोड़ उठायी लाठियां

Sharabलखनऊ। सरयू नदी की गोद में बसे गोंडा जिले के नवाबगंज मांझा क्षेत्र के गांव रघुनाथपुर में अनोखे आन्दोलन की बयार बहने लगी है। कच्ची शराब पीने से हुई ताबड़तोड़ मौतों के बाद यहां शराब पीने वालों की रोटी पर पाबंदी लगा दी गई है। यह काम किया है यहां की मां-बेटियों ने। उन्होंने चूल्हा-चौका छोड़कर हाथों में लाठियां उठा ली हैं।
आधी आबादी के इस आन्दोलन में गांव के कुछ युवा भी आ जुटे हैं। पहले गांव की महिलाएं संगठित हुईं, उसके बाद रविवार रात से आन्दोलन शुरू हुआ। अगुवा ज्ञानमती, रजवंती, शीला देवी और नीलम कहती हैं अब गांव में शराब नहीं बिकने देंगे, हमारे घर का हो या दूसरे के परिवार का आदमी। शराब पी तो उसे खाना नहीं मिलेगा। बीते 24 घंटे में शराब पीने वाले आठ लोगों को उनके घरों में खाना-पानी नहीं दिया गया है। इस अनोखे अभियान में गांव की मंजू, राधा और संगीता को जागरुकता की जिम्मेदारी दी गई है।
आन्दोलन में विधवाएं भी शामिल
इस अभियान में शराब पीकर मरने वालों अंग्रेज व राम विलास आदि की विधवाएं भी शामिल हैं। यहां के बिरजलाल के तीन बेटे सरबजीत, कप्तान और रंजीत व जानकी के पुत्र नकछेद की मौत भी कच्ची शराब के सेवन से हो चुकी है।
बेटियों ने बंद कराये गांव में ठेके
विपिन बिहारी शशिभूषण इंटर कॉलेज की छात्राओं पूजा, मधु, मोहनी और बिंदु ने सहेलियों और माताओं के साथ मिलकर यहां के सभी शराब के चार ठेकों को भी बंद करा दिया है। युवा लाठियां लेकर सभी सीमाओं पर पहरेदारी कर रहे हैं। मुहिम में प्रधान वीरेन्द्र सिंह की पत्नी शशि सिंह संसाधन मुहैया करा रही हैं।