प्रणव बोले: 21वीं सदी एशिया की है

pranavग्वांगझोऊ। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी बन रही है और यह व्यापक तौर पर भारत और चीन की उपलब्धियों पर निर्भर है। चीन के इस शहर में भारतीय समुदाय के एक समूह को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत और चीन दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश हैं। उन्होंने कहा, 21वीं सदी की संभावना एशिया की सदी बन रही है और यह ज्यादातर भारत और चीन की उपलब्धियों पर अलग-अलग और सामूहिक रूप से निर्भर करेगी।
इससे पहले, राष्ट्रपति मुखर्जी ने अपना चार दिवसीय चीन दौरा ग्वांगझोऊ से शुरू किया। ग्वांगझोऊ एक अत्यंत औद्योगीकृत शहर है, जिसका भारत के साथ मजबूत कारोबारी जुड़ाव है। मुखर्जी ने 2009 में विदेश मंत्री के रूप में चीन के ग्वांगदोंग प्रांत की राजधानी का दौरा किया था। राष्ट्रपति के रूप में यह चीन की उनकी पहली यात्रा है।
मुखर्जी भारतीय और चीनी व्यापारियों से मुलाकात करेंगे। पर्ल नदी के किनारे स्थित ग्वांगझोऊ शहर में करीब 5000 भारतीय रहते हैं, जो मुख्यत: व्यापार से जुड़े हैं। इस शहर में कई तरह के उद्योग हैं, जिनमें जहाज निर्माण, वस्त्र और रासायनिक उद्योग भी शामिल हैं।
भारत और चीन के बीच व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में हैं, इसलिए मुखर्जी मोटे तौर पर द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को स्पर्श करेंगे। हांगकांग और मकाऊ के निकट स्थित ग्वांगझोऊ पहला शहर है, जिसने 1978 में बाहरी दुनिया के लिए चीन के द्वार खोले जाने का लाभ उठाया।
विगत 25 सालों से इस शहर की औसत विकास दर 14 प्रतिशत बनी हुई है। ग्वांगझोऊ शहर में ब्रिटिशकालीन इमारतें हैं, जो इस शहर के अफीम युद्ध में फंसने की गवाह हैं। ग्वांगझोऊ में विगत 16 वर्षों से रह रहे राजेश शाहनी ने आईएएनएस से कहा, यह अच्छा है कि हमारे राष्ट्रपति दौरा कर रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि उनके दौरे से भारतीय व्यापारियों के लिए और हितकर माहौल बनेंगे।
पासपोर्ट खोने पर भारतीय दूतावास से कोई मदद नहीं मिलने के डरावने अनुभव को याद करते हुए एक अन्य भारतीय व्यापारी शिवन कुशवाहा ने कहा, मैं दौरे के बारे में अधिक तो नहीं कह सकता हूं, लेकिन उनके दौरे के बाद अच्छे परिणामों की उम्मीद करता हूं। चीन को छोड़ दीजिए, भारतीय अधिकारियों से भी अधिक मदद नहीं मिलती है।
राष्ट्रपति 25 मई को बीजिंग पहुंचेंगे, जहां वह चाइनीज पीपुल्स फ्रेंडशिप एसोसिएशन ऑफ फॉरेन कंट्रीजÓ की ओर से आयोजित स्वागत समारोह में भाग लेंगे। मुखर्जी पीङ्क्षकग विश्वविद्यालय का भी दौरा करेंगे। हाल ही में यह विश्वविद्यालय दुनिया के सौ विश्वविद्यालयों में 21वां स्थान पाया है।
मुखर्जी अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग और चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग के साथ 26 मई को बातचीत करेंगे। वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के बाद किसी भी भारतीय राष्ट्रपति का चीन का यह पहला दौरा है। पठानकोट हमले के सूत्रधार अजहर मसूद को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल कराने के भारतीय प्रयासों को चीन द्वारा विफल किए जाने के कुछ दिनों बाद यह दौरा हो रहा है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह(एनएसजी) में भी भारत के प्रवेश का चीन ने समर्थन नहीं किया है, जिससे नई दिल्ली चिंतित है। चीनी नेतृत्व के साथ मुखर्जी की वार्ता के दौरान ये मुद्दे उठाए जाने की संभावना है