चुनावी साल में कर्मचारियों को खुश करने में लगी टीपू सरकार

cm newलखनऊ। अखिलेश सरकार चुनावी साल में उत्तर प्रदेश राज्य के 21 लाख से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों को खुश रखने की राह चुनी है। सरकार ने सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू करने को हरी झंडी दे दी है। प्रारूप तय करने के लिए घोषित समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपा गया है। चुनाव से पहले इन सिफारिशों पर अमल के लिए समिति से छह माह में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सातवें केंद्रीय वेतन आयोग का लाभ विभिन्न वर्गों के कार्मिकों को देने पर सहमति जतायी गयी और इसका प्रारूप तय करने के लिए एक कमेटी के गठन का फैसला किया गया। कैबिनेट ने नियोजन व कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिवों को सदस्य और वित्त वेतन आयोग के सचिव को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है, हालांकि कैबिनेट ने इस समिति का अध्यक्ष नामित करने का अधिकार मुख्यमंत्री को सौंपा है। संकेत हैं कि जल्द ही अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि समिति को छह माह के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए बनायी गयी समिति ने डेढ़ साल में अपनी रिपोर्ट दी थी। इस बार चुनावी साल होने के कारण समिति से जल्दी रिपोर्ट मांगी गयी है। अफसरों का कहना है कि चुनाव से पहले वेतन आयोग की मूल सिफारिशों पर अमल की कोशिश होगी, भत्तों आदि पर भले ही बाद में फैसला हो।
आवास भत्ता बढऩे की उम्मीद लगा रहे कर्मचारियों को अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा। वित्त विभाग ने कैबिनेट में एचआरए बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं रखा। बताया गया कि इस प्रस्ताव में 20 फीसद तक आवास भत्ता बढ़ाया जाना था। सूत्रों का कहना है कि समूह ख और समूह ग के कार्मिकों के भत्ते में कुछ खामियां थी, जिसे सुधार कर वित्त विभाग अगली कैबिनेट में इस प्रस्ताव को पेश कर सकता है।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें माने जाने पर पहले साल 26,573 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आने की उम्मीद है। इसके बाद हर साल 22778 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होगा। अभी वेतन, भत्तों व पेंशन पर वार्षिक 95000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। प्रदेश सरकार ने इस खर्च के लिए बजट में ही तैयारी कर ली थी। पिछले साल के बजट में तीन फीसद वृद्धि कर अनुमानित व्यय का आगणन किया गया था। अन्य भत्तों को यथावत मान महंगाई भत्ता में दस फीसद वृद्धि कर आगणन हुआ था। पेंशन मद में छह फीसद वृद्धि कर पिछले वित्तीय वर्ष को आधार बनाया गया था।
प्रदेश सरकार द्वारा कराए गए आंकलन में राज्य कर्मचारियों का औसत वेतन 25 फीसद के आसपास बढऩे की उम्मीद है। इसीलिए खर्च का आंकलन करते समय वेतन मद व महंगाई भत्ते के योग का 25 फीसद अतिरिक्त व्ययभार माना गया, क्योंकि पुनरीक्षित वेतनमानों में एक जनवरी 2006 का महंगाई भत्ता मूल वेतन में जोड़ दिया जाएगा। यह मानते हुए कि अन्य भत्ता कम से कम दोगुना हो जाएगा, अतिरिक्त व्ययभार वर्तमान व्ययभार के बराबर मान लिया गया। पेंशन के मद में 25 फीसद अतिरिक्त व्ययभार जोड़ा गया। वेतन मद में राज्य सहायता से अलग-अलग प्राविधान न होने के कारण अन्य भत्ते दोगुने होने की उम्मीद में कुल अनुमानित व्ययभार का 30 फीसद अतिरिक्त व्ययभार माना गया। एक जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें माने जाने के चलते वित्तीय वर्ष 2016-17 में 14 माह का अतिरिक्त व्ययभार वहन करना होगा, इसी आधार पर आगणन किया गया।