रात को ज्यादा देर तक जागते हैं या फिर लाइट जलाकर सोने की आदत है तो अब आपको संभल जाना चाहिए। ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने अपने नए शोध में पाया है कि रात में लाइट के अस-पास रहने की आदत आपको कई गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकती है। रिसर्च के मुताबिक शरीर को नेचुरली रात में रौशनी की ज़रुरत नहीं होती और इसका एक्सेस हमारे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।
पहले शरीर को जानिए
दुनिया में बिजली की खोज से पहले इंसान रात के समय बिना रौशनी के ही रहता था और ये सिस्टम शरीर के लिए पूरी तरह नॉर्मल भी था। जहां बात दिन में मिल रही सूरज की रोशनी इतनी पर्याप्त है कि आंखों पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ता। कहने का मतलब साफ है कि हमारे शरीर का एक बायोलाजिकल क्लॉक सूरज और चांद की रोशनी से नियंत्रित होता रहा है जो कि इन दिनों कृत्रिम रोशनी के कारण गड़बड़ा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इसी के चलते आपको अंधेरे में सोना शुरू कर देना चाहिए।
रौशनी जिनती ज़रूरी है उतना ही अंधेरा भी
बता दें कि रौशनी शरीर के लिए दवा की तरह काम करती है लेकिन दवा भी ज़रुरत से ज्यादा ली जाए तो नुकसानदायक साबित होती है। अगर हम रात में भी कृत्रिम रौशनी को अपने इर्द-गिर्द जलाए रखते हैं तो इससे हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे हमारी नींद प्रभावित होती जिस कारण हमारे ब्लड प्रेशर में असामान्य उतार चढ़ाव आ सकता है। दरअसल कृत्रिम रोशनी हमारे मस्तिष्क पर असर डालती है।
कैंसर
रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि इसकी सीधी वजहों के बारे में तो पता नहीं लगाया जा सका है लेकिन ये तय है कि यदि हम रात को सोते समय रोशनी जलाकर रखते हैं तो ये शरीर में कैंसर कोशिकाओं को एक्टिव करता है। इस सम्बंध में 10 साल तक हुए एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि सोने के माहौल में यदि रोशनी हो तो ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका में 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है। जबकि अंधेरे में सोने वाली महिला को इस तरह का कोई रिस्क नहीं होता।
आंखों पर पड़ता है बुरा असर
आपको शायद पता नहीं लेकिन बंद आंखें भी इस बात को जानती हैं कि बिजली जल रही है। नतीजत गहरी नींद नहीं आ पाती। आपने यदि गौर किया हो तो कभी भी फोन या टैबलेट की अचानक लाइट जल जाने से हमारी नींद खुल जाती है। मतलब साफ है कि कृत्रिम बिजली के कारण गहरी नींद नहीं ली जा सकती।
तनाव बढ़ता है
अगर आप रात के समय कंप्यूटर में काम करते हैं या फिर कम बिजली में पढ़ते हैं तो इससे तनाव का स्तर बढ़ जाता है। असल में रात के समय प्राकृतिक रूप से अंधेरा हो रहा होता है जबकि हम कृत्रिम रोशनी में पढऩे की कोशिश करते हैं। इससे अवसाद से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
दिल की बीमारी
रात में कृत्रिम रौशनी जलाए रखना हमारे मूड पर तो असर डालता है। हमारा हृदय भी इससे अछूता नहीं है। कृत्रिम रौशनी के कारण हृदय सम्बंधी बीमारियां हमें धर दबोचती हैं।