लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी सांसदों को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के विकास हित में केन्द्र सरकार में लम्बित राज्य के विभिन्न प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण हेतु अपने स्तर से समुचित कदम उठाने का अनुरोध किया है। उन्होंने भरोसा जताया है कि प्रदेश के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में सभी सांसदों का पूरा सहयोग प्राप्त होगा।
प्रदेश के सभी सांसदों को लिखे व्यक्तिगत पत्र में श्री यादव ने उल्लेख किया है कि उत्तर प्रदेश के विकास और तरक्की के लिए विभिन्न विषयों पर समय-समय पर प्रदेश सरकार द्वारा भारत सरकार से अनुरोध किया जाता रहा है। कतिपय महत्वपूर्ण प्रकरणों में स्वयं उनके द्वारा प्रधानमंत्री जी को समय-समय पर पत्र लिखा गया है। प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को प्रेषित किए गए महत्वपूर्ण प्रकरणों के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी सुलभ संदर्भ हेतु संलग्न करते हुए श्री यादव ने राज्य के विकास हित में लम्बित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण हेतु अपने स्तर से समुचित कदम उठाने का अनुरोध प्रदेश के सभी सांसदों से किया है।
पत्र के साथ संलग्नक के तौर पर प्रेषित एक पुस्तिका में राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को भेजे गए 28 महत्वपूर्ण मामले शामिल किए गए हैं। इनमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सम्बन्धित 04 प्रकरण, विधि एवं न्याय मंत्रालय से सम्बन्धित 01 प्रकरण, ग्राम्य विकास मंत्रालय से जुड़े 02 प्रकरण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से सम्बन्धित 01 प्रकरण, सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्रालय से सम्बन्धित 03 प्रकरण, गृह मंत्रालय से सम्बन्धित 05 प्रकरण, संस्कृति मंत्रालय से सम्बन्धित 02 प्रकरण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से सम्बन्धित 01 प्रकरण, रक्षा मंत्रालय से सम्बन्धित 03 प्रकरण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से सम्बन्धित 03 प्रकरण तथा ऊर्जा मंत्रालय से सम्बन्धित 03 प्रकरण शामिल हैं।
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय को प्रेषित प्रकरणों में राज्य में 04 लाख शिक्षक/अनुदेशकों के पारिश्रमिक के भुगतान संकट को देखते हुए वर्ष 2015-16 के अवशेष केन्द्रांश 3585 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त किया जाना, मध्यान्ह भोजन योजना में रसोइयों का मानदेय, जो 07 वर्षों से नहीं बढ़ा है, को 1,000 रुपए से बढ़ाकर 2,000 रुपए प्रतिमाह किया जाना, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत केन्द्रांश की लगभग 187 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त किया जाना तथा राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत निर्मित हो रहे 26 राजकीय विद्यालयों के लिए द्वितीय किश्त प्राप्त न होने के कारण प्रभावित हो रहे निर्माण कार्य को सुचारू बनाए रखने हेतु 441 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त किया जाना शामिल है।
गृह मंत्रालय में प्रेषित प्रकरणों में भू-मानचित्रों के डिजिटाइजेशन हेतु 14 करोड़ रुपए की अंतर धनराशि की स्वीकृति, वर्ष 2015 में ओलावृष्टि से कृषि फसलों को हुई क्षति की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय आपदा कोष से 4742 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त किया जाना, राज्य आपदा मोचक निधि से लघु और सीमान्त कृषक के साथ ही भूमिहीन लोगों के पशुओं को भी चारा, दवायें आदि दिए जाने सम्बन्धी मानकों में संशोधन, राज्य आपदा मोचक निधि से प्रभावित परिवारों को अहैतुक सहायता दिए जाने के मानकों में संशोधन के विषय शामिल हैं।
सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्रालय को भेजे गए मामलों में ए0आई0बी0पी0 वित्त पोषित परियोजनाओं हेतु केन्द्रांश की धनराशि का अवमुक्त किया जाना, राजकीय नलकूपों का सौर ऊर्जा एवं ग्रिड ऊर्जा के हाइब्रिड मॉडल से संचालन तथा बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम से सम्बन्धित मामले शामिल हैं। इसी प्रकार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा जनपद मुख्यालय को 4-लेन मार्ग/2-लेन विद पेव्ड शोल्डर मार्ग से जोडऩे की योजना में धीमी प्रगति, केन्द्रीय मार्ग निधि योजना के तहत पर्याप्त धनराशि (01 हजार करोड़ रुपए) उपलब्ध कराया जाना तथा राष्ट्रीय राजमार्गों के अनुरक्षण का प्रकरण भेजा गया है।
रक्षा मंत्रालय को भेजे गए मामलों में प्रदेश के जनपद कन्नौज एवं रामपुर में 02 नये सैनिक स्कूलों की स्थापना, जनपद लखनऊ में दिलकुशा एवं जनेश्वर मिश्र पार्क के मध्य गोमती नदी (पिपरा घाट) सेतु के निर्माण की परियोजना पर सेना द्वारा वर्किंग परमिशन दिया जाना तथा जनपद लखनऊ में लोहिया पथ पर गोमती बैराज से कुकरैल नाले के बाएं तटबंध से होते हुए खुर्रमनगर तक 6-लेन मार्ग एवं आर0ओ0बी0 सह फ्लाईओवर के निर्माण हेतु सेना की भूमि पर वर्किंग परमिशन दिए जाने के मामले शामिल हैं। ऊर्जा मंत्रालय को मेजा तापीय विद्युत गृह से प्रदेश को आंवटित शेयर में वृद्धि, 24ग7 पावर फॉर ऑल के लिए अतिरिक्त स्वीकृति एवं धनराशि का निर्गमन तथा हाल में कोयले के दामों में हुई वृद्धि का विश्लेषण किए जाने के प्रकरण प्रेषित किए गए हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को स्टेबलिशमेण्ट ऑफ न्यू मेडिकल कॉलेजेज़ विद इक्जिस्टिंग डिस्ट्रिक्ट/रेफरल हॉस्पिटल्स के अंतर्गत निर्माण लागत की सीमा बढ़ाया जाना, ग्राम्य विकास मंत्रालय को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत निर्माणाधीन पेयजल योजनाओं के लिए प्रतिवर्ष न्यूनतम 1500 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता की आवश्यकता तथा प्रदेश के बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्रों में सरफेज़ सोर्स आधारित पेयजल परियोजनाओं हेतु शत्-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता के रूप में 2360 करोड़ रुपए की मांग, विधि एवं न्याय मंत्रालय को अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायालय भवनों एवं न्यायिक अधिकारियों के आवासीय भवनों के निर्माण की योजना में केन्द्रांश अवमुक्त किया जाना तथा संस्कृति मंत्रालय को टैगोर कल्चरल कॉम्प्लेक्स योजना के तहत लखनऊ स्थित राष्ट्रीय कथक संस्थान के भवन के निर्माण के लिए 09 करोड़ रुपए अवमुक्त किया जाना एवं टैगोर कल्चरल कॉम्प्लेक्स मथुरा में ऑडिटोरियम के लिए 14 करोड़ रुपए अवमुक्त किए जाने के प्रकरण प्रेषित किए गए हैं।