लोकायुक्त पर मंत्रिपरिषद के फैसले से मुझे अंधेरे में रखा गया: राम नाईक

ram naik
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक लोकायुक्त की नियुक्ति पर कानून में संशोधन पर हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के निर्णय के बारे में सरकार ने उन्हें अधेंरे में रखा और मंत्रिपरिषद की बैठक में रखे जाने वाले एजेंडे को भी उनको नहीं पहले नहीं दिखाया गया। राज्यपाल नियुक्ति के एक साल पूरे होने पर अपने किये गए कामकाज पर राज भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
एक ही जाति के अभ्यार्थियों के लोक सेवा आयोग में हुए चयन को लेकर किये गए सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है । वह इस प्रकरण पर मुख्यमंत्री से जवाब तलब करेंगे।
उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा का काम उन्हें दिया गया है । संविधान की रक्षा के लिए आगे भी सक्रियता से काम करते रहेंगे।
लोकायुक्त की नियुक्ति पर पूछे गए सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि ं लोकायुक्त की पहले नियुक्ति छह साल के लिए होती थी बाद में कानून में संशोधन हुआ और नियुक्ति की अवधि आठ साल कर दी गयी। लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश , विधान सभा में नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष होते हैं। अब सरकार उसमें संशोधन करना चाह रही है। इसको लेकर बैठक हो चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी छह माह में लोकायुक्त की नियुक्ति करने को कहा है। इसकी अवधि बुधवार को पूरी हो रही है। सरकार ने इसमें क्या हलफनामा दिया है यह उन्हें नहीं बताया गया। लोकायुक्त की नियुक्ति जल्दी करने को लेकर बैठक करने के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से मुख्य न्यायाधीश और नेता सदन व प्रतिपक्ष को पत्र लिखा। न्यायधीश ने पत्र मिलने की बात की है इसके विपरीत नेता सदन ओर प्रतिपक्ष ने कोई पत्र का जवाब नहीं दिया ।
राम नाईक ने एक ही जाति की नियुक्तियां लोक सेवा आयोग से होने पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि इस मामले में वह सरकार से जवाब तलब करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं आर.एस.एस से हूं किंतु भाजपा का सदस्य नहीं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर मीडिया ने उन्हें घेरने की कोशिश की और एक संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय में उन्हें हटाने की याचिका भी दायर कर दी जो अस्वीकृत हो गयी है ।