श्रीश्री रविशंकर: एनजीटी का खुलासा, कार्यक्रम से हुआ नुकसान

shri raviनई दिल्ली। यमुना के किनारे में श्रीश्री रविशंकर द्वारा विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन से नदी का खादर क्षेत्र यानी बाढग़्रस्त इलाके को पूरी तरह से नष्ट हो गया है। यह खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से गठित विशेषज्ञों की समिति ने किया है। समिति ने अपने 47 पन्नो की निरीक्षण रिपोर्ट मे एनजीटी को यह जानकारी दी है।
समिति ने कहा है कि इस कार्यक्रम से खादर का क्षेत्र पूरी तरह से नष्ट हो गया है। इसके अलावा जैव विविधता की भी भारी क्षति हुई है। समिति का कहना है इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। समिति का दावा है कि यमुना ‘फ्लड्स प्लेनÓ कई तरह की संवेदनशील जैविक गतिविधियों का स्थल है। लेकिन इस कार्यक्रम के लिए वहाँ की हरियाली को जलाकर उस पर मलबा डाल कर पूरे क्षेत्र को समतल कर दिया गया है, जिससे यमुना के माहौल को हमेशा के लिए नुकसान हुआ है।
समिति ने कहा कि डीएनडी फ्लाईओवर से लेकर बारापुला ड्रेन, (यमुना के दाएं तरफ) यमुना बाढग़्रस्त क्षेत्र को मामूली नुकसान नही पहुंचा है, वह पूरी तरह नष्ट हो गए है। महोत्सव स्थल पर जमीन कठोर हो गई है। इतना ही नहीं वनस्पतियां, पेड़-पौधे, घास, जलकुंभी आदि नष्ट हो गई हैं। ये कीचड़ मे रहने वाले कीड़े व छोटे जानवरो का घर था। उनका घर नष्ट हो गया है और वह हमेशा के लिए यहां से चले गए।
समिति के अनुसार जहां मंच लगाया गया था वहां और उसके पीछे बड़ी मात्रा मे मिट्टी आदि सामग्री डाली गई, जलनिकायोंं को भरा गया। इसके बाद जमीन को समतल करने के लिए मशीनोंं से दबाया गया है। डीएनडी फ्लाईओवर के पास रैप बनाने के लिए मिट्टी आदि डाली गई।
बारापुला ड्रेन के पास दो पंटून पुल बनाए गए, जिससे नुकसान पहुंचा है। यहां से लुप्त हुए कीचड़ मे रहने वाले कीड़े आदि अब कभी वापस नही आएंगे। प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचा है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व एनजीटी के निर्देश पर एओएल ने 4.75 करोड़ पर्यावरण मुआवजे के रूप मे डीडीए के पास जमा कराए थे। एनजीटी ने एओएल पर जुर्माने के रूप मे पांच करोड़ रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क लगाते हुए उसे कार्यक्रम करने की अनुमति दी थी।