बसपा को भारी पड़ेगी ब्राह्मणों की उपेक्षा

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लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने गुपचुप तरीके से पार्टी के सर्वजन समीकरण को दलित-मुस्लिम में बदल दिया है। पार्टी ने 2007 में 86 ब्राह्मणों को उम्मीदवार बनाया था। जिनमें से आधे से अधिक जीत कर आये थे। इस बार बसपा अध्यक्ष ने ब्राह्मणों के बजाए मुस्लिम समुदाय को तरजीह दी है। पार्टी के ब्राह्मण चेहरा सतीशचंद्र मिश्र को भी पहले जैसा सम्मान नही दे रहीं है। जानकारों के मुताबिक बसपा ने 2017 के लिए महज 30 से 32 ब्राह्मणों को ही टिकट दिया है। जबकि मुस्लिम समुदाय को 115 से 125 सीटों के लिए प्रभारी घोषित किया है। उप्र में मुस्लिम समुदाय की आबादी 19 प्रतिशत है। जबकि ब्राह्मणों की लगभग 14 प्रतिशत। मुस्लिम प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा के साथ रहें है। हालांकि पश्चिमी उप्र की मुस्लिम बाहुल सीटों पर मुस्लिम-जाटव समीकरण से बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के जीतने की संभावना रहती है।

मायावती को भेजे पत्र में क्या कहा है बृजेश ने
मै आपको यह पत्र बहुत दुख व पीड़ा से लिख रहा हूं। 2004 में आपने मुझे ब्राह्मण समाज को पार्टी से जोडऩे की जिम्मेदारी सोंपी थी। मैने जिले-जिले में ब्राह्मण भाईचारा कमेटियां बनायी, और ब्राह्मणों को बसपा के लिए संगठित किया। यही वजह है कि 2007 में ब्राह्मणों ने बसपा का साथ दिया। उस समय अपने ब्राह्मणों को 86 विधानसभा क्षेत्रों से टिकट दिया। नतीजा पहली दफा उप्र में बसपा की अपने बूते बहुमत की सरकार बनी। तब लगा कि आपने तिलक, तराजू और तलवार के नारे को छोड़ सर्व समाज की राजनीति अपना ली। विगत कुछ वर्षो से पार्टी में जो कुछ हो रहा है वह इस धारणा के उलट है। आपमें ब्राह्मण समाज के प्रति कटुता व घृणा का भाव फिर से आ गया है। आप एक एक कर उनसे किनारा कर रहीं है। ब्राह्मण नेताओं को पार्टी में पूछने वाला कोई नही है। 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए ब्राह्मणों को दिये गए 70 टिकट काट कर मुस्लिम समाज को दे दिया है। वह भी पैसे वाले व अपराधी तत्वों को। मै ब्राह्मण समाज की रखा के लिए बसपा में आया था। अब इस पार्टी में ब्राह्मण का हित सुरक्षित नही।