चौधरी बोले: मायावती ने बजाया घिसापिटा रिकार्ड

leader-rajendra-chaudhryलखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि बसपा अध्यक्ष का दो मामलों में कोई सानी नहीं। एक तो वह अपने भाषण में तथ्यों की जबर्दस्त उलट पुलट कर देती है कि झूठ के अलावा उसमें कुछ और दिखता नही, दूसरे वह बड़े आत्मविश्वास से कोशिश करती है कि जनता गुमराह होकर उनकी बातों को ही सच मान ले, उनके कारनामों को भूलकर लोग फिर उनके अंधेरराज का शरण कर ले। आज आजमगढ़ में बसपा अध्यक्ष ने वही घिसापिटा रिकार्ड फिर बजा दिया जो 21 अगस्त को आगरा की बसपा रैली में बजाया था।
बसपा अध्यक्ष को पता नही कैसे यह मुगालता है कि पाँच साल तक उन्होंने उत्तर प्रदेश की जनता पर जो कहर ढाहे थे उसे लोग आसानी से भूल जाएगें। बसपा राज के वे दिन तानाशाही के थे जब बसपा मुख्यमंत्री को शाही सवारी के लिए सड़के खाली हो जाती थी, लोग पीछे मुँह खड़े कर दिये जाते थे और मुख्यमंत्री आवास हर आम और खास के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र था। बड़े बड़ों को अन्दर जूते उतारकर ही जाने की इजाजत मिलती थी।
वे अब बताती है कि समाजवादी सरकार की मेट्रो, एक्सप्रेस-वे जैसी तमाम विकास योजनांए उनके समय बनी थी। लेकिन तब उन पर काम नही हुआ क्योंकि विकास के नाम पर पत्थर के पार्क, स्मारकों के नाम पर सरकारी कोष लूटा जा रहा था। स्वास्थ्य के बजट में घोटाले किये जा रहे थे। भ्रष्टाचार का भांडा न फूटे इसलिए जेल में सीएमओ की हत्या हो रही थी। बसपा अध्यक्ष दरअसल समाजवादी पार्टी के विकास कार्यो से बुरी तरह सहमी हुई है क्योंकि जनता जानती है कि बसपा अध्यक्ष के दावे खोखले है।
बसपा अध्यक्ष को सत्ता जाने के बाद प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति की चिंता सताने लगी है। अच्छा होता वे अपने शासनकाल के क्राइम चार्ट ही उठाकर पढ़ लेती तो उन्हें पता चलता कि उनके समय में कितनी किशोरियों, महिलाओं की इज्जत लूटी गई। थानों में बलात्कार होता था। ‘बहन जीÓ के जन्मदिन की चन्दा वसूली में इंजीनियर को पीट-पीटकर मार डाला गया था। इन सभी कांडो में बसपा के ही मंत्री विधायक शामिल पाए गये थे। खुद एक समय बसपा प्रमुख ने अपनी पार्टी में 500 अपराधियों के होने का दावा किया था पर आज तक उनकी सूची जारी करने की वह हिम्मत नही कर सकी। उनके शासन काल में भ्रष्टाचार की पर्याय बसपा बन गई। प्रशासन पंगु था।
बसपा ने कभी किसानो के हित में कोई कदम नही उठाया। उनको राहत देने में दिलचस्पी नही ली। खाद-बीज की मांग करने पर उन पर लाठियाँ बरसी। परेशान हाल तमाम किसानो ने आत्महत्या कर ली। बाढ़ के बारे में भी बसपा अध्यक्ष भ्रम पैदा कर रही है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बाढ़ पीडि़तों को राहत पहुँचाने के निर्देश पहले से दे रखे हैं।
शेखी चाहें जितनी बघारें पर सच तो यह है कि बसपा में मची भगदड़ और टिकटों की नीलामी के आरोपों से बहन जी बुरी तरह तिलमिला उठी हैं। इसके लिए वे मीडिया को कोसती है और सपा-भाजपा मिलीभगत जैसी गलत बयानबाजी करती हैं। जातिवादी सांप्रदायिक ताकतों के विरुद्ध समाजवादी पार्टी हमेशा से रही है। भाजपा-बसपा का एक साथ रहने का पुराना इतिहास रहा है। अनर्गल बयान देकर राजनीतिक धोखधड़ी से जनता को बरगलाने में अब बसपा प्रमुख सफल नही हो पाएगी, क्योंकि जनता ने विकास क्या होता है यह श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार के कार्यकाल में भलीभाँति देख-परख लिया है।