बुरे फंसे: मुलायम सिंह के खिलाफ एफआईआर की तहरीर

mulayam singhलखनऊ। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह के खिलाफ 1989 में अयोध्या में कारसेवक पार गोली चलाने के मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज करने की तहरीर लखनऊ के हजरतगंज थाने में दी गई है। तहरीर में कहा गया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने बिना किसी दबाव के हत्या की स्वीकारोक्ति की है।
मुलायम सिंह के खिलाफ हत्या का एफआईआर दर्ज करने का प्रार्थना पत्र की अर्जी देने वाले रईस खान, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के अवध प्रांत के संयोजक है। उन्होने प्रार्थना पत्र में कहा है कि 27 अगस्त 2016 को मुलाय सिंह ने सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार कर लिया की अयोध्या में 16 लोगों की जान ली थी और जरूरत पड़ती तो 30 लोगों की जान लेते। अत: मुलायम सिंह के खिलाफ आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। रईस खान ने इससे जुड़े दस्तावेज और बयान की डीवीडी भी प्रार्थना पत्र के साथ पुलिस को दी हैं। हजरतगंज पुलिस ने कहा है कि उन्हे अभी प्रार्थना पत्र नही मिला है। जबकि रईस खां ने कहा कि उन्होने एक प्रति कोतवाली में दी है जबकि दूसरी उसकी दीवार पर चस्पा कर दी है। क्योंकि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया था।
उप्र के चुनावों का अनिवार्य मुद्दा बन चुके अयोध्या विवाद का इस बार जिक्र भाजपा या विहिप ने नही बल्कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने किया। उनके बयान के बाद अयोध्या के संतों ने नाराजगी व्यक्त की थी। विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कारसेवकों की हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। बुधवार को शरद शर्मा ने कहा कि मुलायम सिंह के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या उन्होने राजनीति कारणों से वोट बैंक के लिए गोली चलाने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, उनके बयान से लगता है कारसेवकों पर गोली जानबूझकर चलवाई गई थी। हिंदू महासभा से जुड़े अधिवक्ता मनीष पांडेय ने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव यह स्वीकार कर ही चुके हैं कि उनके आदेश पर चलवाई गई गोली में कारसेवक मारे गए तो हत्या का मुकदमा भी चलाया जाना चाहिए।
अयोध्या में आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान के महंत बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य ने मुलायम के बयान को गैरजिम्मेदाराना और संवेदनहीन और लोकतंत्र को खतरे में डालने वाला बताया था। याद रहे सपा अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर के लिए लखनऊ के हजरतगंज में दूसरी बार प्रार्थना पत्र दिया गया है। इसके पहले उप्र के चर्चित आईजी अमिताभ ठाकुर ने फोन पर धमकी देने की एफआईआर दर्ज करायी थी।