एलडीए की कहानी: आमदनी अठन्नी, खर्चा …

ldaलखनऊ (आरएनएस)। लखनऊ विकास प्राधिकरण शहर भर में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की बात करता हो लेकिन जेब एलडीए की लगभग खाली है। करीब 2 साल से पहले एक समय ऐसा था जब एलडीए के बैंक खातों में 1100 करोड़ रूपए हुआ करते थे और वही खाते लगभग खाली हैं। एलडीए के पास मौजूदा समय में कुल 8.10 करोड़ रूपए ही बचे हैं और 75 करोड़ का फि क्स्ड डिपाजिट है। इस वित्तीय वर्ष के 5 महीनों की बात करें तो एलडीए ने 455.12 करोड़ रूपए खर्च किये जबकि आमदनी कुल 347.96 करोड़ है।
यही नहीं एलडीए का अपने ठेकेदारों पर भी बकाया बाकी है। एलडीए पर करीब 48.49 की देनदारी भी बाकी है। इसका खुलासा एलडीए की लेखा विभाग की एक रिपोर्ट में हुआ है। दो वर्ष पहले तक जहां एलडीए के पास 900 रूपए की एफ डी थी आज कुल 75 करोड़ ही बची। तेजी से हुए खर्च और आमदनी की स्थिति पर ध्यान न देने का नतीजा आज एलडीए भुगत रहा है।
हालांकि एलडीए को हाल ही में 510 करोड़ मिला है लेकिन यह सिर्फ मु यमंत्री ड्रीम प्रोजेक्ट और शासन के प्रोजेक्ट्स पर खर्च किया जा सकता है।
एचडीएफ सी बैंक हजरतगंज में 75 करोड़ (एफ डी), यूको बैंक गोमती नगर में 3.25 करोड़, यूको बैंक लालबाग में 1.96 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक हजरतगंज में 0.29 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक में 0.60 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा में 2 करोड़ रूपए बचा है। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिव प्रताप का कहना है कि पिछले दो सालों में तेजी से अधिकारियों ने मन मुताबिक फ ण्ड का गलत इस्तेमाल किया गया है। वहीं एलडीए सचिव अरुण कुमार का कहना है कि वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। खर्चे घटाने और आय बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।