एक आधुनिक सौगात है क्राउडफंडिंग

crowd-fundललित गर्ग। एक नया बनता हुआ भारत हमारे सामने है। इस भारत के कई सपने हैं। कुछ सपने राजनीति के जमीन से उगते हैं तो कुछ समाज के उर्वर मस्तिष्कों से। कुछ सपने उन आंखों के हैं जिन्होंने अतीत देखा है, तो कुछ उनके जिनकी निगाहों में युवा रंग झिलमिलाते हैं। इन्हीं सपनों ने जीने का नया तरीका दिया है, सोच को बदला है और जीवन को सुगम बनाने की कोशिश की गयी है। ऐसी ही एक आधुनिक सौगात है क्राउडफंडिंग। इसको लेकर कुछ नये स्टार्टअप बहुत उत्साहित हैं और इसे देश में स्थापित करना चाहते हैं। विदेशों में यह लगभग स्थापित हो चुकी है। भारत में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों, जनकल्याण उपक्रमों और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। अब तो महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा एवं बचाव के लिये भी इसे कारगर मानकर उपयोग हो रहा है। यह भारतीय चन्दे का आयात किया हुआ एक स्वरूप है, एक प्रक्रिया है।
इस समय दुनियाभर में क्राउडफंडिंग दो तरह के मॉडल पर काम कर रही है। इसमें पहला है डोनेशन बेस्ड फंडिंग। क्राउडफंडिंग कॉन्सेप्ट का जन्म इसी मॉडल से हुआ है। इसमें लोग किसी अच्छे प्रोडक्ट या सर्विस के लिए पैसा दान करते हैं, ताकि बाद में उन्हें वह प्रोडक्ट मिल सके। क्राउडफंडिंग का दूसरा मॉडल है इंवेस्टमेंट क्राउडफंडिंग। यह आजकल सबसे अधिक चलन में है। इस तरह के मॉडल में पैसे देने वाला व्यक्ति उस कंपनी या प्रोडक्ट में हिस्सेदारी ले लेता है और बाद में उसे लाभ में हिस्सेदारी मिलती है।
भारत में ‘क्राउडफंडिंगÓ का चलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। अनेक हिन्दी फिल्में क्राउडफंडिंग के सहारे बनी हंै। अब विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। सामाजिक एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के लिये भी इसी माध्यम से पैदा जुटाने के उपक्रम होने लगे हैं। हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रभावी प्रस्तुति एवं हिस्सेदारी के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु ने दुनिया भर के युवाओं को एशिया प्रशांत क्षेत्र में महिलाओं एवं बालिकाओं की बेहतर दुनिया निर्मित करने के लिए लिए चिंतन एवं कार्य को प्रोत्साहित करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय मंच दिया है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनियाभर की 35 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में किसी न किसी रूप में शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दो मिनट में एक औरत अपराध की शिकार होती है। महिलाओं के खिलाफ ऐसी आपराधिक, यौन एवं हिंसक प्रवृत्तियों का मुकाबला करने के लिए ‘इंस्पायर परियोजनाÓ ने इस वर्ष एक प्रभावी योजना हाथ में ली है। इसके अंतर्गत महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और बचाव के साथ-साथ महिला सशक्तीकरण के व्यापक उपक्रम किये जायेंगे। इम्पैक्ट गुरु ने आधिकारिक तौर पर वैश्विक सामाजिक उद्यमिता के इस मंच इंस्पायर परियोजना के साथ अंतरराष्ट्रीय करार किया है।
इम्पैक्ट गुरु के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रवक्ता, पीयूष जैन ने कहा हम इंस्पायर परियोजना के करार से उत्साहित है। यह परियोजना संयुक्त राष्ट्र महिला और मास्टरकार्ड की सिंगापुर समिति की एक ईकाई है, इससे एशिया और प्रशांत क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के लिए एक सुरक्षित दुनिया बनाने के लिए धन जुटाने में मदद करने के लिए हमारे प्रयास होंगे। इस करार एवं समझौते से हमारी काम की पहुंच एवं प्रभाव भारत और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में मजबूत होगी और इससे क्राउडफंडिंग को बढ़ावा मिलेगा।
चंदे एवं क्राउडफंडिंग में जो मूल फर्क देखने को मिलता है, वह यह है कि चन्दा प्राय: धार्मिक कार्यों के लिये ही दिया जाता रहा है जबकि क्राउडफंडिंग का क्षेत्र व्यापक है और इसमें धार्मिक कार्यांे के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक कार्य या व्यावसायिक कार्य जैसे पुल बनवाना, मोहल्ले की सफाई कराना, सड़क बनवाना, महिलाओं की सुरक्षा करना या फिर फिल्म बनाने का काम हो, या पत्रकारिता से जुड़ा उपक्रम हो, इनमें क्राउंड फंडिंग का इस्तेमाल अब आम हो गया है।
श्री पीयूष जैन भारत में क्राउडफंडिंग के भविष्य को लेकर बहुत आशान्वित है। वे बताते हैं कि इम्पैक्ट गुरु क्राउडफंडिंग मंच हार्वर्ड इनोवेशन लैब में नवीन तकनीक से जुड़कर शुरू किया गया है। जो भारत में जनकल्याण के विविध उपक्रमों के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए गैर लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्य करेगा।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत में क्राउडफंडिंग के लिए लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है। वर्ष-2014 में 167 प्रतिशत इजाफे के साथ 16.2 करोड़ डॉलर रहा। वर्ष-2015 में यह 34.4 करोड़ डॉलर हो गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में दुगुना है। इन आंकड़ों से उजागर होता है कि क्राउडफंडिंग के प्रति दुनिया में न केवल बड़े दानदाताओं में बल्कि मध्यमवर्ग में भी देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
इम्पैक्ट गुरु की कार्ययोजना को आकार देने के लिये गंभीरता से जुटे श्री पीयूष जैन का मानना है कि क्राउडफंडिंग भारत के लोगों में दान की परम्परा को एक नई शक्ल देगा। बड़े दानदाता ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे दान को प्रोत्साहन किया जा सकेगा। मध्यमवर्ग के लोगों में भी दान देने का प्रचलन बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। विशेषत: युवकों में जनकल्याण एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए दान की परम्परा के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया जाएगा, जिसके माध्यम से सेवा और जनकल्याण के नये उपक्रम संचालित हो सकेंगे।
देश बदल रहा है। हौले-हौले नहीं, तेज रफ्तार के साथ ये परिवर्तन जारी है। बदलाव भी ऐसा, जिससे बेहतरी की उम्मीद जागी है। परिवर्तन की ये बयार महसूस की जा सकती है, क्योंकि बदलाव ढंका-छुपा नहीं है। दफ्तर, घर, बाजार, शहरों, गलियों, मॉल-सिनेमाहॉल, धर्मस्थलों से लेकर शेयर के उतार-चढ़ाव, फिल्मों और टेलिविजन तक, हमारे व्यक्तिगत संबंधों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक रिश्तों के वितान तक परिवर्तन की छाप गहरे पड़ी है। वे दिन अब नहीं रहे, जब भारत कोई विकासशील और कहीं-कहीं, किसी नजर में पिछड़ा-सा देश था। भारत की पहचान बदल रहे और कई मायनों में एकदम बदल चुके देश की है। श्री पीयूष जैन के अनुसार सोशल मीडिया की आम आदमी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हर आदमी फेसबुक से जुड़ा हुआ है और उसकी स्वतंत्र डिजिटल जीवनशैली भी है, जो उसे अधिक सामाजिक बनाती है। इम्पैक्ट गुरु दुनिया का पहला ऐसा डिजिटल मंच है जो जनकल्याणकारी कार्यों के लिए पैसा जुटाने और ऐसे ही उपक्रमों के लिए साझेदारी निभाने के लिए तत्पर है। फेसबुक के प्रत्येक सदस्य द्वारा सामाजिक भलाई हेतु एक न्यूनतम दान को प्रोत्साहित किया जाएगा जो कुछ शर्तों के साथ 1000 रुपये तक हो सकता है। इस योजना को इम्पैक्ट गुरु ने ‘मुस्कानÓ या ‘सामाजिक मीडिया साझेदारीÓ नाम दिया गया है।
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने हमारे देश के संबंध में एक महत्वपूर्ण बात कही थी, ”हमें भारतीयों के प्रति बहुत कृतज्ञ रहना चाहिए, जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया, जिसके बिना विज्ञान की दुनिया में कोई भी अहम खोज नहीं हो पाती।ÓÓ आज एक बार फिर दुनिया भारत की ओर कृतज्ञताभरी नजरों से देख रही है क्यों नयी दुनिया बनाने में भारत के युवाओं की हिस्सेदारी उल्लेखनीय बनकर प्रस्तुत हो रही है। जब जीवन से जुड़ा हर तार बदल रहा है तो समाज पहले जैसा कैसे रहता? उदारीकरण के बीस साल ने समाज को भी पूरी तरह बदल दिया है। इस बदलाव का ही प्रतीक है क्राउडफंडिंग का भारत बढ़ता प्रचलन एवं इम्पैक्ट गुरु के नये-नये उपक्रमों में आम-जनता का आकर्षण।
इम्पैक्ट गुरु मंच की कोशिश से भारत में 33 लाख गैर लाभकारी संगठनों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाया जा सकेगा। क्योंकि इन गैर लाभकारी संगठनों के सम्मुख धन उगाने के परम्परागत तरीकें बहुत खर्चीले हैं, जो कुल धन का खर्च 35 प्रतिशत तक है, जिसे नई तकनीक के अंतर्गत 5 प्रतिशत तक किया जाएगा। इससे एक बड़ी समस्या का समाधान इम्पैक्ट गुरु के द्वारा संभव हो सकेगा। इम्पैक्ट गुरु कॉलेज और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ युवा प्रोफेशनल के बीच व्यापक पहुंच स्थापित कर उनमें क्राउडफंडिंग की शक्ति के माध्यम से उन्हें सोशल मीडिया के लिए जागरूक किया जा रहा है।
क्राउडफंडिंग की परंपरा को भारत में व्यापक बनाने के लिये इम्पैक्ट गुरु के साथ-साथ अनेक संगठन और लोग विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अब तक इस परम्परा के तहत किसी परियोजना या व्यवसाय के लिए लोग एक साथ मिलकर आर्थिक सहयोग करते थे। आम तौर पर इसका प्रयोग वो लोग करते रहे हैं जिनके पास पैसों की कमी होती थी। आज के दौर में इंटरनेट के माध्यम से सबसे ज्यादा क्राउडफंडिंग हो रही है। 2008 में अमेरिका में आई आर्थिक मंदी के दौरान वहां के लोगों ने जोर-शोर से क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल शुरू किया। दुनिया की सबसे बड़ी क्राउडफंडिंग कंपनी ‘किकस्टार्टरÓ कमोबेश हर क्षेत्र जैसे फिल्म, पत्रकारिता, संगीत, कॉमिक, वीडियो गेम से लेकर विज्ञान और तकनीक के लिए क्राउडफंडिंग करती है। किकस्टार्टर ने पिछले वर्ष तक 224 देशों के 58 लाख लोगों से तकरीबन दस अरब रुपये जुटाए हैं। इसका इस्तेमाल दो लाख लोगों ने विभिन्न योजनाओं के लिए किया। अब भारत में इम्पैक्ट गुरु भी कुछ ऐसा ही अनूठा, विलक्षण और संगठित प्रयास करने को तत्पर दिखाई दे रहा है। आज के समय में क्राउडफंडिंग एक ऐसा मंच माना जा रहा है, जिसके जरिए उन बहुआयामी योजनाओं को पूरा किया जा सकता है जो आधी-अधूरी हालात में है। ऐसे अनेक सार्वजनिक काम हैं जो निर्मित हो चुके हैं एवं फण्ड की कमी के कारण चलयमान नहीं हो पाए हैं, उन्हें सफलतापूर्वक क्रियाशील बनाने में क्राउडफंडिंग रामबाण औषधि का कार्य करेंगी।