एलपीजी सब्सिडी कतरने की तैयारी

gas cyenसतीश सिंह। केंद्र सरकार जल्द ही एलपीजी यानी रसोई गैस पर दी जानी वाली सब्सिडी को जरूरतमंद लोगों तक सीमित करने जा रही है.पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अब एलपीजी सब्सिडी केवल जरूरतमंद लोगों को ही दी जाएगी. यहां जरूरतमंद से तात्पर्य है, जिनकी आय पांच लाख से कम हो. इस सीमा से ऊपर आय वालों को कालांतर में सब्सिडी नहीं दी जाएगी. ऐसे लोगों को बाजार मूल्य पर रसोई गैस सिलेंडर लेना पड़ेगा. हालांकि, सरकार चाहती है कि रसोई गैस सिलेंडर पर दी जाने वाली सब्सिडी गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले (बीपीएल) परिवारों को ही सिर्फ दिया जाए. लेकिन इस योजना को अमलीजामा पहनाने में सरकार को एक लंबा वक्त लगने का अनुमान है.
रसोई गैस सब्सिडी बंद करने के अभियान को दो चरणों में लागू करने की योजना है. प्रथम चरण में जिनकी वार्षिक आय 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा है, को रसोई गैस सब्सिडी देना बंद कर दिया गया है. दूसरे चरण में, जिनकी वार्षिक आय पांच लाख रुपये या उससे ज्यादा हैं को रसोई गैस सब्सिडी देना बंद किया जाएगा. इसके लिए तेल कंपनियां चिह्नित ग्राहकों को एलपीजी पर सब्सिडी खत्म करने का नोटिस भेजने के साथ-साथ उन्हें एसएमएस भी करेगी. लोगों की आमदनी से जुड़े ब्योरे पेट्रोलियम मंत्रालय ने इनकम टैक्स विभाग, बैंकों, अप्रत्यक्ष कर विभाग, आधार, पैन नंबर आदि की मदद से इकठ्ठा किए हैं. हालांकि, जिन्होंने सब्सिडी छोड़ दी है, उनमें से बहुत सारे लोग वापिस सब्सिडी लेना चाहते हैं, लेकिन मौजूदा परिदृश्य में ऐसा होना मुमकिन नहीं लगता है. बहरहाल, इस संदर्भ में पेट्रोलियम मंत्रालय ने रोडमैप बनाना शुरू कर दिया है. उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के बाद इस योजना पर तेजी से काम किया जाएगा.
गौरतलब है कि इस वक्त देश में 16 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन धारक हैं, जिन में से पहल योजना के तहत 1.10 करोड़ लोगों ने स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी को छोड़ दिया है. पहल योजना की शुरुआत नवम्बर, 2014 में हुई थी. देखा जाए तो रसोई गैस पर सब्सिडी को खत्म करना मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार सीधे ग्राहकों के बैंक खातों में एलपीजी सब्सिडी देने एवं स्वेच्छा से सब्सिडी छोडऩे वालों पहल से सरकार को 15,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
सरकार चाहती है कि लगभग पांच करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन दिया जाए. ऐसा करने से कई गरीब लोगों को कैंसर, टीबी, दमा आदि जैसी गंभीर बीमारियों से निजात मिलेगी, क्योंकि एक सर्वेक्षण के मुताबिक लकड़ी के जलावन पर खाना बनाने से तकरीबन 40 सिगरेट के बराबर धुंआ शरीर के अंदर प्रवेश करता है. भले ही सरकार दावा कर रही है कि गैस सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में सीधे स्थानांतरण करने एवं पहल योजना को लागू करने से 15000 करोड़ रुपये की बचत हुई है. लेकिन कैग की रिपोर्ट; जो इसी साल मॉनसून सत्र में संसद के पटल पर रखी गई थी, के अनुसार गैस सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में सीधे स्थानांतरण करने एवं पहल योजना से एलपीजी सब्सिडी बचत के मामले में 2000 करोड़ रु पये से भी कम की बचत सरकार को हुई है.
कांग्रेस के लिए तो यह रिपोर्ट वरदान साबित हुई है. उसके वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कैग की रिपोर्ट प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री जेटली, पेट्रोलियम मंत्री प्रधान और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मणयम के दावों को सिरे से खारिज करती है. रमेश के अनुसार प्रधानमंत्री ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में कहा था कि गैस सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में सीधे स्थानांतरण करने एवं पहल योजना से 15,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है, जबकि वित्त मंत्री, पेट्रोलियम मंत्री एवं मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम के मुताबिक यह बचत 11,000 करोड़ से 15,000 करोड़ रुपये के बीच हुई है. हां, सरकार को मामले में कारोबारियों एवं बड़े किसानों को भी शिकंजे में लेने की जरूरत है. कारोबारी आमतौर पर आयकर रिटर्न नहीं भरते हैं. बड़े किसान भी इस आलोक में कारोबारियों के पद चिह्नों पर चलते हैं. यह विडम्बना ही है कि देश में नौकरीपेशा लोगों पर सरकार अपना शिंकजा आसानी से कस देती है.