बिजनेस स्कूलों में पढ़ाया जाएगा टाटा ग्रुप विवाद

ratan-tataमुंबई (आरएनएस)। टाटा ग्रुप के बोर्डरूम वॉर से देश के बिजनस स्कूलों को ऐसी मिसाल मिली है, जिसका इस्तेमाल वे स्टूडेंट्स को अच्छी बिजनस प्रैक्टिस के बारे में बताने के लिए कर रहे हैं। टाटा संस के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद ग्रुप के साथ उनका जो टकराव शुरू हुआ है, उससे बिजनस स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले सारे सबक दिए जा सकते हैं। आईआईएम, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस और मैनेजमेंट डिवेलपमेंट इंस्टिट्यूट जैसे जाने-माने बिजनस स्कूल के प्रफेसरों का कहना है कि इस मामले में कॉरपोरेट गवर्नेंस से लेकर सक्सेशन प्लानिंग तक के सबक छिपे हैं।
आईआईएम बैंगलौर में कॉर्पोरेट स्ट्रैटिजी और पॉलिसी के प्रफेसर रामचंद्रन जे ने कहा, ‘हम इस पर एक केस स्टडी तैयार कर रहे हैं। हम इसके जरिए किसी लिस्टेड कंपनी में ओनरशिप राइट्स और मैनेजेरियल राइट्स पर फोकस करेंगे।Ó रामचंद्रन ने कहा कि इससे उन्हें स्टूडेंट्स को बिजनेस ग्रुप और कॉन्ग्लोमरेट का फर्क बताने का मौका मिलेगा। मिसाल के लिए, टाटा संस के चेयरमैन के पास वही काम नहीं है, जो जनरल इलेक्ट्रिक के चेयरमैन के पास। इसकी वजह यह है कि जीई एक कंपनी है, जिसमें एरोस्पेस, मेडिकल और लाइटिंग जैसे बिजनस हैं। वहीं, टाटा ग्रुप कई लीगल एंटिटी का बास्केट है। इन एंटिटी में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा केमिकल जैसी कंपनियां शामिल हैं। आईआईएम बैंगलौर की केस स्टडी में इस पर भी फोकस किया जाएगा कि अगर किसी को चेयरमैन के पद से हटाया जाता है लेकिन बोर्ड से नहीं तो उसका क्या असर पड़ता है।
आईआईएम कलकत्ता के असोसिएट प्रफेसर (स्ट्रैटिजिक मैनेजमेंट) अनिर्बान पंत स्टूडेंट्स को यह समझाने की योजना बना रहे हैं कि चेयरमैन का काम सिर्फ स्ट्रैटिजी बनाने तक सीमित रहना चाहिए या उन्हें इसके साथ ग्रुप की पहचान बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। इसमें एक और टॉपिक यह होगा कि टॉप लीडर्स सही कैंडिडेट का चुनाव कैसे करते हैं। वहीं, आईएसबी के काविल रामचंद्रन ने कहा कि टाटा ग्रुप में जो हो रहा है, उससे कई चीजें सीखने का मौका मिला है। हम अपने कोर्स का इसे हिस्सा बनाएंगे। उन्होंने बताया कि इसमें कॉरपोरेट गवर्नेंस, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का कामकाज, नॉन-फैमिली सीईओ के एंप्लॉयमेंट, सक्सेशन मैनेजमेंट और नॉन-ऑपरेटिंग ओनर्स के रोल पर फोकस किया जा सकता है। हालांकि, अभी केस स्टडी फाइनल नहीं की गई है। कई प्रफेसरों ने बताया कि इस मामले ने यह भी सिखाया है कि फैमिली मैनेज्ड बिजनस को उत्तराधिकार के मामले से कैसे निपटना चाहिए।