बीजेपी का वॉर रूम: आईटी जानकारों की धूम

bjp-state-office-लखनऊ। यूपी भाजपा हेडक्वाटर के उपरी तल चुनावी वॉर रूम चल रहा है। जहां दिन-रात आईटी और राजनीति के पुरोधा पार्टी की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। रिसर्च विंग में जाकर पता चला कि पार्टी के सबसे बड़े चुनावी चेहरे यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होने वाली बड़ी रैलियों को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। साथ ही इसे सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
जनमन को लुभाने और विरोधी दलों से मुकाबला करने के लिए विधानसभा और जिला स्तर पर चुनाव संचालन समिति बनाई है। जिन्हें मॉनीटर करने के लिए प्रदेश स्तर पर विभाग भी बनाए गए हैं। पार्टी का चुनाव प्रबंधन का अहम जिम्मा संभालने वाले जे.सी.एस. राठौर के मुताबिक चुनाव प्रचार एवं प्रबंधन, मीडिया के कामकाज आदि को संभालने के लिए अलग टीमें है। जबकि किसी भी कानूनी अड़चन का सामना करने के लिए एक अलग सेल बनाई गई है। चुनाव से जुड़े तमाम मुद्दों को इक_ा करके रिसर्च विंग संबंधित नेताओं तक पहुंचाने का काम करती है। ये डाटा न सिर्फ नेताओं के भाषण बल्कि भाजपा के घोषणा पत्र बनाने में भी काम आ रहा है। प्रत्याशियों की फिजां बनाने के साथ मतदाताओं का मन टटोलने के लिए टेलीकॉलर बड़ी संख्या में जुटे हुए हैं। इस टीम के कंधे पर अखिलेश यादव के विकास को झुठलाने से लेकर भाजपा के चुनावी चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों का गुणगान करने की अहम जिम्मेदारी है। सभी जिलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं से बात करने के लिए वीडियो कांफ्रेसिंग रूम बनाया गया है। उत्तर प्रदेश में कुल 92 जगह पर अटल आइटी सेंटर बने हुए हैं। यहां से एक आम कार्यकर्ता वेबकैमरा और माइक के जरिए ?पार्टी अध्यक्ष से लेकर एक आम कार्यकर्ता को अपनी समस्या या बात से अवगत करा सकता है। समय-समय पर केशव प्रसाद मौर्य और सुनील बंसल इस वीडियो कांफ्रेसिंग का इस्तेमाल करके कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनते हैं। चुनाव में आंकड़ों का खेल खूब चलता है। खुद का दमखम दिखाने से लेकर विरोधी पक्ष को दबाने तक के लिए बीजेपी की रिसर्च टीम प्रतिदिन खबरों पर नजर बनाए हुए है। यह टीम खबरों को संयोजित करने के साथ ही साथ विरोधियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब भी तैयार करती है। इनके द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट प्रदेश के बड़े नेताओं को मुहैया कराई जाती है। रिसर्च टीम पूरे दिन चलने वाली चर्चित खबर के अलावा कौन सा मुद्दा आगे बढ़ सकता है उसके बारे में भी अपना फीड बैक पार्टी आलाकमान को देता है। शोध टीम के मुखिया अनिल पांडेय के मुताबिक रिसर्च टीम द्वारा इक_े किए गए अब तक के आंकड़ों में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी निकल कर आया है। वहीं अपराध और भ्रष्टाचार के बाद सड़क, पानी, बिजली को लेकर भी खूब शिकायतें मिली हैं। भाजपा के वार रूम में काम करने वाले अधिकांश लोग शिक्षित, प्रोफेशनल और आइटी के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। राजनीति के जानकार और संगठन से जुड़े लोगों को भी विशेष रूप से जोड़ा गया है ताकि उत्साह में कोई गलत संदेश लोगों तक न चला जाए। सूबे के एक लाख 47 हजार बूथ पर पार्टी का तंत्र सुनियोजित ढंग से काम करे इसके लिए पूरी रणनीति बनाई गई है। बहरहाल, सोशल मीडिया पर कभी एकक्षत्र राज करने वाली भाजपा के सामने न सिर्फ कांग्रेस, सपा जैसी बड़ी मीडिया मैनेजमेंट वाले सियासी दल हैं बल्कि उसे इस बार उस बसपा से भी टक्कर लेनी है जिसने अरसे तक दूरी बनाए रखने के बाद इस मंच पर जबरदस्त तरीके से धमक दी है।