यूपी में किसको क्या पंसद है…

smart fonअमृतांशु मिश्र। रविवार को पहली बार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का हाथ पकड़कर जनता के बीच जाएंगे। इस दौरान बॉलीवुड के मशहूर गाने बेबी को बेस पसंद है… की तर्ज पर यूपी को ये साथ पसंद है… गाना भी गाया जाएगा। जगह होगी लखनऊ का ताज होटल, जहां दोनों दलों के सूरमा जीत का मंत्र तैयार करेंगे। रविवार से निकलने वाले रोड शो का पूरा चार्ट भी तैयार कर लिया गया है। उधर, कांग्रेस स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी और सपा सासंद डिंपल यादव की भी संयुक्त रैलियों की योजना तैयार कर ली गई है। करवट लेती प्रदेश की राजनीति के इस मौके पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव में समानताएं और डिंपल यादव और प्रियंका गांधी की रुचियों और विचारों में साम्यता को जानना जरूरी हो जाता है। आखिर यही दोनों जोड़ी आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा को तय करने वाली हैं। अखिलेश-कांग्रेस का रोड शो और संयुक्त रैलियां वोटर्स पर कितना प्रभाव डालेंगी यह अहम सवाल है। राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि अखिलेश-राहुल की मौजदूगी युवाओं पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। साथ ही मुस्लिम वोट के सपा के पास ही रहने के चांसेज ज्यादा हैं, जिसके पारिवारिक लड़ाई में ध्रुवीकरण की बात कही जा रही थी। इसके अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन उन सवर्ण मतदाताओं के लिए भी एक विकल्प होगा, जो भाजपा को वोट नहीं देना चाहते। इनके साथ आने से दोनों दलों को मजूबती मिलेगी। इससे खासकर कांग्रेस को ज्यादा फायदा होगा। अखिलेश-राहुल के साथ आने से बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि, मुसलमान वोटर बाबरी विध्वंस के लिए जहां भाजपा को जिम्मेदार मानता है, वहीं कांग्रेस को भी कम दोषी नहीं मानता। उनका कहना है कि सपा का गठन भी एंटी कांग्रेस और एंटी भाजपा पार्टी के तौर पर हुआ है। चूंकि, अब दोनों साथ-साथ हैं। ऐसे में कांग्रेस को संजीवनी मिलना तय है, लेकिन सपा को दूरगामी नुकसान होने की संभावना अधिक है। उनके मुताबिक, यूपी के मुसलमानों के पास इस गठबंधन के पास मायावती के रूप में एक तगड़ा विकल्प (एंटी भाजपा) मौजूद है, जो बिहार में नहीं था। जानकारों के अनुसार अखिलेश यादव और राहुल गांधी दोनों यूथ आइकॉन हैं। युवाओं को तो जरूर लुभाएंगे, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि उत्तर प्रदेश की चुनावी लड़ाई जातीय समीकरण के आधार पर ही जीती जाती रही है। अखिलेश-राहुल व डिंपल-प्रियंका सपा-कांग्रेस गठबंधन के खास आकर्षण हैं। दोनों जोडिय़ां यूपी चुनाव में दम दिखाने को तैयार हैं। अखिलेश और राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में संयुक्त रूप से 14 बड़ी चुनावी रैलियां करेंगे। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का कहना है कि जल्द ही संयुक्त रैलियों का कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा। वहीं, डिंपल यादव और प्रियंका गांधी के साथ रैलियों की भी योजना तैयार है। हालांकि अभी कोई अपडेट जारी नहीं है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अलग-दलों से हैं, लेकिन दोनों में कुछ समानताएं हैं। दोनों ही यूथ आइकॉन हैं। और दोनों की ही राजनीतिक फैमिली बैकग्राउंड है। बात राजनीतिक विचारधारा की करें तो दोनों दल धर्म निरपेक्ष राजनीति पर यकीन करते हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जिस प्रकार से पीके की टीम साझा रणनीति तैयार करके चुनाव में आगे बढ़ रही है उससे अन्य पार्टियों के लिए खतरे की घंटी जरूर है। खैर अब यह आने वाले समय में ही पता लग पायेगा कि किसको क्या पसंद है।