देश ही नहीं विदेशों में भी है मलिहाबादी पेड़ों की मांग

nursari
लखनऊ। आम का मौसम समाप्ति पर है। नये बाग लगाने के लिए पौधों की बिक्री शुरू हो गयी है। नर्सरी मालिकों ने अपनी तैयार पौध बिक्री के लिए मंडी सजा दी है। यहां सजी पौधों की मण्डी में आम की विभिन्न प्रजातियों सहित अन्य फलदार, छायादार व शोभादार पौध बिक्री के लिए लगी है। लखनऊ हरदोई मार्ग पर एक किलोमीटर लम्बाई मे पौध बिक्री की करीब एक सैकड़ा दुकानें लगी हैं। यहां प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित देश के विभिन्न प्रान्तों के किसान अपने खेतों मे बाग लगाने के लिए पौध की खरीद करने आ रहे हैं। इसके अलावा मांग के अनुसार विदेशों मे भी पौध का निर्यात किया जाने लगा है। यहां से विदेश के लिए भी पौध का निर्यात शुरू हो गया है। नफीस नर्सरी के मालिक शबीउल हसन ने आम, अमरूद, नींबू व अनार की 2800 पौध खाडी देश कतर भेजी है। यह बहरीन देश के लिए पौध का निर्यात करने की तैयारी मे जुटे हैं। इनका कहना है कि विदेश मे मिट्टी विहीन पौध ही निर्यात होती है। पौधों की जड़ों से पानी द्वारा मिट्टी हटाकर जड़ों मे एक रसायनिक पदार्थ लगाकर पौध का निर्यात किया जाता है। यह सामान्य पौध की तरह विदेश पहुंचकर खेतों मे रोपित की जा रही है। खाडी देशों मे पौधों का निर्यात हवाई जहाज के माध्यम से किया जाता है।
आम पौध के अलावा अन्य फलों आंवला, लीची, कटहल, अमरूद, बेर, जामुन, महुआ, आंडू, नींबू, मुसम्मी, चीकू, सन्तरा, नाशपाती, पपीता, करौंदा, अंगूर, अनार, केला व किन्नू आदि पौधों की बिक्री का बाजार गरम है। आम की मु य प्रजाति दशहरी, चौंसा, लंगड़ा व लखनऊ सफेदा के अतिरिक्त रंगीन आकर्षक आमों की प्रजाति गौरजीत, याकूती, गिलास, हुस्नआरा, गुलाबखास, सुर्खा वर्मा, हरदिल अजीज, स्वर्ण रेखा व सुर्खा झाखड़बाग, चूसने वाली प्रजातियों मे गुलाब जामुन, शर्बती, अरूण, वरूण व हिमांश, अचार मे प्रयोग की जाने वाली प्रजातियां रामकेला, नीलम, रूमानी, बंगलौरा व केतकी बिहार व बौनी प्रजातियों मे आम्रपाली, मलिका, नीलम, रूमाली, बेनिशान, राजीव, सौरभ, केसर, गोरव, वनराज व मालगोवा के पौधे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इसी के साथ ही विदेशी किस्में नेते माडले, टामी एटकिन्स व संशेसन के पौधों की मांग भी जोरों पर है। शोभाकारी व सजावटी पौधों के साथ छायादार वृक्षों बरगद, कद ब, पकरिया व नीम के पौधे बिक्री के लिए मौजूद हैं। इमारती लकड़ी की पौध शीशम, पापुलर, यूक्लिप्टस, सागौन व चीड़ की पौध धडल्ले से बिक रही है। निजी पौधशालाओं के अतिरिक्त सरकारी पौधशाला केन्द्रीय बागवानी उपोष्ण संस्थान रहमानखेड़ा व औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र पर भी फलदार पौधों की बिक्री का कार्य जारी है।
क्षेत्र मे करीब डेढ़ हजार पौधाशालाएं हैं। जिसमें 175 पौधशालाएं उद्यान विभाग से पंजीकृत हैं। इन सभी पौधशालाओं से लगभग 50 लाख पौध उत्पादित होती है। एवन नर्सरी के मालिक सिराज अहमद ने बताया कि पौध मण्डी के अतिरिक्त गांव-गांव मे स्थापित नर्सरियों से बरसात के मौसम मे करीब 450 ट्रकों के माध्यम से पौधों की सप्लाई प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित भारत वर्ष के विभिन्न प्रान्तों मे यहां से की जाती है।