गाजियाबाद विकास प्राधिकरण: बुलडोजर चलता है हैसियत देखकर

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। यूं तो पूरे गाजियाबाद जिले में अवैध निर्माण की भरमार है । रात दिन अवैध निर्माण किए/कराए जा रहे हैं । गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने जिले को अपनी सुविधा के हिसाब से आठ जोनों में बांटा हुआ है। समस्त जोनों में कोई जॉन ऐसा नहीं है जहां पर अवैध निर्माणों की बाढ़ ना आ गई हो। उच्च अधिकारियों द्वारा किसी भी क्षेत्र का ऐसा लगता है कि निरीक्षण ही नहीं किया जाता है। उच्च अधिकारी अपने दरबार से बाहर आते जाते ही नहीं हैं गर्मियों में एसी सर्दियों में रूम हीटर कहीं ज्यादा अच्छा है फील्ड में गर्म और सर्द हवा खाने से। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जहां पर अवैध निर्माणों पर हथोड़ा चेहरा देखकर हैसियत जानकर चलाया गया है तथा रसूखदार तथा धनपति को अभय प्रदान कर बक्श दिया गया है। प्राधिकरण अधिकारी वाहवाही लूटने के लिए तथा शासन प्रशासन को दिखाने भर के लिए अपने प्रिय समाचार पत्रों में सील व डिमोलिशन की कार्रवाई छपवा देते हैं तथा बस अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली जाती है। ऐसा ही एक प्राधिकरण के अधिकारियों की नजर में कारनामा बृहस्पतिवार को राजनगर एक्सटेंशन में खसरा नंबर 578 ग्राम नूर नगर में बिना स्वीकृति नक्शे के विकसित की गई अनधिकृत कॉलोनी में बनाए भवनों पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का बुलडोजर चला । ऐसा नहीं है कि राजनगर एक्सटेंशन क्षेत्र, मोरटी,मोरटा,अटोर नगंला आदि कोई सा ऐसा गांव बचा हो जहां खेतों में कृषि भूमि पर अवैध कालोनिया ना कट रही हो और रात दिन अवैध निर्माण ना किए जा रहे हो। अधिकारी अपने दरबारों से बाहर तो निकले और जाकर फील्ड में देखें तो सच्चाई सामने आ जाएगी। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में पुलिस स्टाफ की नियुक्ति ऐसी जोंक के समान है जो खुद प्राधिकरण का ही खून चुस रही है। प्रश्न भी स्वभाविक है कि जब पुलिस स्टाफ प्राधिकरण में तैनात है तो फिर यह अवैध कालोनियां,अवैध निर्माण कैसे संभव हो जाते हैं । ज्यादातर पुलिस स्टाफ प्राधिकरण अधिकारियों के गनर के तौर पर रहता है। प्राधिकरण के सुरक्षा गार्ड अधिकारियों के घरों पर तैनात रहते हैं फिर अवैध निर्माणों को रोके कौन ? यह सब पहले से ही चलता आया है और चलता रहेगा बस अब उम्मीद व इंतजार है कि प्राधिकरण में मुख्यमंत्री महोदय की समीक्षा दौरा/बैठक कब होगी लेकिन यदि मुख्यमंत्री महोदय ने शहर का दौरा कर लिया या अपने किसी प्रतिनिधि से करा लिया तो प्राधिकरण अधिकारियों की पोल खुल जाएगी तथा सच्चाई सामने आ जाएगी कि कैसे उनके द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति उदासीनता,लालच के वशीभूत जिले के इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त करा दिया गया है।