ले गयी पार्षद का दिल गुडिय़ा जापान की

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सौरभ पांडे

फ्रेंडशिप डे पर विशेष।

वाराणसी। कहते हैं कि अगर प्यार की मंजिल को पाना है तो पहले दोस्ती का दामन थामना होगा। प्यार के ढाई अक्षर पढऩे से पहले दोस्ती के इम्तिहान में पास होना होगा। इधर दोस्ती का रंग गाढ़ा होगा और उधर प्यार के अहसास में दुनिया सिमटने लगेगी। सारनाथ के रहने वाले बीजेपी पार्षद अजय जैन के साथ भी कुछ यही हुआ। जापान से काशी आई एक लड़की पहले उनकी सबसे अच्छी दोस्त बनी और फिर जिंदगी भर की हमसफर।
साल 1995 में मिहो जापान से काशी घूमने आई थी। यहीं जापानी मंदिर में उनकी अजय जैन से पहली मुलाकात हुई। वो यहां अपने गुरु से जैपनीज भाषा सीखा करते थे। मिहो से जब वो पहली बार मिले, तो उन्हें लगा कि कोई अपना सा दोस्त उन्हें मिल गया है। मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो चुका था। कुछ दिन काशी में बिताने के बाद मिहो वापस जापान चली गई। उधर अजय भी जापानी भाषा की पढ़ाई करने दिल्ली आ गए। अजय ने बताया कि मिहो के वापस जापान लौटने के बाद उन्हें डर सताने लगा कि कहीं उनकी दोस्ती खत्म न हो जाए। इसलिए दिल्ली में पढ़ाई के दौरान वो मिहो से मिलने कई बार जापान के हेरीटेज शहर हीनेजी भी गए। उन्होंने कुछ वक्त जापान में रहकर भी पढ़ाई की। साल 1999 में एक बार फिर वो मिहो को लेकर वापस भारत आए। ये वो वक्त था, जब दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी। दोनों साथ जीने-मरने की कसमें खा चुके थे। दोनों साथ में वापास जापान लौटे। इस बार अजय ने मिहो के माता-पिता से उसका हाथ मांग लिया।