लंदन में प्रवास के पांच दिन

 

cm in london

राजेन्द्र चौधरी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ 22 जुलाई से 27 जुलाई तक ब्रिटेन यात्रा मेरी पहली विदेश यात्रा थी। इस यात्रा में जहां ब्रिटेन के पुराने साम्राज्य के प्रतीक चिन्ह दिखाई दिए वहीं उसके क्षरण के भी दृश्य ओझल नहीं हुए। हमने संसद और शाही बकिंघम पैलेस देखा तो वहीं महान साहित्यकार शेक्सपीयर के गांव तक भी गए। सदियों पुरानी आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी देखी तो क्रिकेट का लाड्र्स मैदान और हाईड पार्क जैसे स्थानों का भी अवलोकन किया। इस यात्रा में पुरातन के साथ नए बदलाव भी हमारे स्मृति पटल पर अंकित होते रहे।
लंदन से 50 मील दूर गांव खेतों के बीच जाना इस यात्रा का सबसे सुखद और रोमांचक पक्ष रहा। यहां खेतों में भेड़ों की तादाद ज्यादा दिखी। खेतों में पीली सरसों की छटा दर्शनीय थी। यहां गेहूॅ, धान के अलावा सब्जी और फल की फसलें भी होती है। भारत के गांवो से भिन्न ब्रिटिश गांवों का रहन-सहन, उनके आवास और पशु बाड़े देखकर लगता ही नहीं कि ये किसानों की बस्ती है। हम भारत के लोगों के जेहन में अपने गांवों की ही तस्वीर रहती है जहां गांववासी अभावों और नागरिक असुविधाओं से जूझते दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गम्भीरता से स्थितियों का आकलन किया और अपने यहां उनमें सुधार पर चिंतित दिखे।
सच तो यह है कि इस यात्रा के अनुभवों से मुख्यमंत्री जी के उत्तर प्रदेश केा आदर्श प्रदेश बनाने के संकल्प को नया बल मिला है। गांव खेती और किसान उनकी प्राथमिकता में प्रारम्भ से रहे हैं। उन्हें इसकी चिन्ता है कि किसान और गांव कैसे खुशहाल हों। उन्होने लंदन में फल और सब्जियों की अच्छी क्वालिटी की ओर संकेत करते हुए मुझसे कहा कि अगर भारत में भी किसानों को सुविधाएं मिल जाएं तो वे अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। उनके उत्पादित माल का विपणन, मण्डी सुविधाएं तथा फसल का लाभकारी मूल्य मिले, इसके प्रयास और तेज किए जाएगें।
मुख्यमंत्री का यह भी कहना था कि हम पश्चिम की हूबहू नकल नहीं कर सकते हैं। हमारे पास गांधीजी, चौधरी चरण सिंह, डा. लोहिया और मुलायम सिंह यादव के विचार तथा उनका मार्गदर्शन है। हमे भारतीय समाज व्यवस्था के अनुकूल अपनी नीतियों का प्रतिपादन करना होगा। उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार सर्वांगीण विकास के लिए तत्पर है। सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, नदियों की स्वच्छता, सिंचाई सुविधा आदि पर काफी काम हो रहा है। अपनी जड़ों से जुड़ाव के साथ समाज को आधुनिकता से जोडऩे के लिए मुख्यमंत्री ने लैपटाप बांटा है ताकि गरीब का बेटा भी आगे बढ़ सके।
इंग्लैंड की आबादी 3.5 करोड़ है जिसका एक चौथाई हिस्सा यानी 92 लाख लोग लंदन में रहते है। यहां की अर्थव्यवस्था व्यापार, कृषि और पर्यटन पर आधारित है यहां के लोग सम्पन्न तो हैं लेकिन अभी भी कुछ लोग भीख और मदद मांगते देखे जा सकते हैं। बाजार और होटल में अंग्रेज प्लीज हेल्प मी की तख्ती लेकर भीख मांगते दिखाई दिए, यह शर्मनाक लगा। सम्पन्नता की चैंधियाने वाली लंदन की दुनिया में आज भी मानव चालित रिक्शों को देखकर सिर झुक जाता है जहां अंग्रेज रिक्शा खींचता है। हिन्दुस्तान में डा. लोहिया ने इस सवारी की निन्दा की थी। वे कभी रिक्शा पर नहीं बैठे। उत्तर प्रदेश में भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बैटरी चालित रिक्शों को प्रोत्साहित किया है।
ब्रिटेन में पूंजीवादी व्यवस्था फल-फूल रही है उसके बावजूद बढ़ती विषमता इसके लिए अभिशाप साबित हो रही है। विकासशील और विकसित देशों के बीच का जो अंतर है वह तो समझ में आता है लेकिन एक विकसित देश में भी सामाजिक विषमता की त्रासदी देखकर यही लगता है कि पूंजीवादी व्यवस्था के स्थान पर समाजवादी व्यवस्था ही मानवीय है।
ब्रिटेन की यात्रा में हम वहां की संसद, शाही परिवार के निवास स्थल बकिंघम पैलेस के साथ ईस्ट इंडिया कम्पनी के दफ्तर तक भी गए। सात समंदर पार देश के इन स्थलों से कभी हिन्दुस्तान का राजपाट चलाया जाता था। हमारी जिज्ञासा थी कि कैसे चन्द अंग्रेजों ने आकर भारत देश केा आर्थिक, राजनीतिक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा। ईस्ट इंडिया कम्पनी अब चाय की पत्ती बेचने का व्यवसाय करती है और वहां दार्जिलिंग की चाय भी मिलती है। यही नहीं, ईस्ट इण्डिया कम्पनी आज भी चाय मुफ्त में पिलाती है।
लंदन में दूध पूर्ण गुणवत्ता का मिलता है। दही और मक्खन बहुतायत में उपलब्ध है। उनके विक्रय केन्द्रो की समुचित व्यवस्था की गई है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री ने कामधेनु योजना शुरू की है। इसके माध्यम से दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की योजना है और गोवंश की सेहत भी इससे ठीक रहेगी।
लंदन में ऐतिहासिक इमारतों की भरमार है। यहां के बाजारों, होटलों तथा शिक्षण संस्थाओं की इमारते भी एक सदी से ज्यादा पुरानी है लेकिन अभी भी मजबूती से खड़ी है। शाम के समय लंदन रंग बिरंगी रोशनी से नहाया हुआ बहुत शानदार और आकर्षक लगता है। हमने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटिश कैबिनेट का वार रूम और तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का वार रूम भी देखा जहां गोपनीय बैठके होती थी। लंदन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का स्थायी सरकारी निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट है। यहां उनका सचिवालय भी काम करता है।
लंदन में यातायात और परिवहन व्यवस्था पूरी तरह चाक चैबंद दिखाई पड़ती है। यहां टैक्सी कार हर वक्त उपलब्ध रहती है। इनकी साइज बहुत बड़ी नहीं है जिससे ये सड़क पर ज्यादा स्थान घेर कर नहीं चलती है। इनका संचालन आसानी से हो जाता है। यहां दूरी नापने के लिए अभी भी मील का इस्तेमाल होता है। जबकि भारत में किलोमीटर से नाप होती है।
आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय शिक्षा जगत में एक महत्वपूर्ण नाम है। यह लंदन से 60 मील दूर है और शिक्षा का अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र है। इसकी स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। यहां 38 कालेज और 6 स्थायी निजी रिहायशी हाल हैं। दुनिया के 26 प्रधानमंत्री यहां शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। दुनिया के 10 नामी विश्वविद्यालयों और दुनिया की तीन सबसे पुरानी यूनिवर्सिटियों में इसका नाम है। लंदन से दो घंटे का सफर कर हम शेक्सपीयर के गांव स्टैऊटफोर्ड अपान ए वन पहुॅचे। शेक्सपीयर जन्म 1564 में हुआ था और मृत्यु 1616 में हुई। दुनिया के मशहूर नाटककारों में उनका नाम है। यहां एक चर्च है और इसके पास ही महान अंग्रेज नाटककार की कब्र है। चार सौ साल बीत जाने के बावजूद उनकी स्मृति को आज भी जिन्दा रखा गया हैं। हमने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। लंदन में हाइड पार्क है जहां आपको भाषण देने की आजादी है। यह साढ़े 3 सौ एकड़ में फैला है जबकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार द्वारा बनाये गये जनेश्वर मिश्र पार्क 4 सौ एकड़ में फैला हुआ है। यहां हाइड पार्क में लीडो काफे है जो सरपेंटाइन लेक के किनारे है। यहां अखिलेश यादव के साथ काफी पीने का हमें मौका मिला।
ब्रिटिश संसद भवन के सामने गांधी जी और चर्चिल की प्रतिमाएं स्थापित है। ब्रिजटावर्स के निकट की किलानुमा बिल्डिंग में कोहिनूर हीरा सुरक्षित है जो कभी भारत के बादशाहों के ताज का शोभा था। इसकी वर्तमान कीमत लगभग 150 हजार करोड़ रूपए है। 105 कैरेट का यह हीरा ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में जड़ा है। यह मुगलों के पास सन् 1739 तक रहा था। बाबरनामा में लिखा है कि यह हीरा सन् 1294 में मालवा के एक राजा का था। बाद में यह हीरा महाराजा रणजीत सिंह के पास भी रहा था।
लन्दन का वाशिंगटन होटल, जहां हम ठहरे थे, में कभी हिन्दी फिल्मों के सदाबहार हीरो देवानन्द भी ठहरते थे। होटल की खिड़कियों से सुबह शाम साइकिलों पर लोगों को घर-दफ्तर और बाजार आते जाते देखना सचमुच अच्छा लग रहा था। साधारण ही नहीं अमीर और उच्च पदस्थ अफसर भी साइकिल से आते जाते दिखाई दिए। हजारों की संख्या में युवा वर्ग लंदन में साइकिल की सवारी करना पसंद करता है। यहां साइकिले प्रत्येक चैराहे पर किराये से मिल जाती है। लंदन में ईस्ट वेस्ट साइकिल सुपरहाई वे सेंट्रल लंदन लंकास्टर गेट से टावर हिल तक बन रहा है जो सन् 2016 तक बनकर तैयार होगा। अभी हाइड पार्क कार्नर से विक्टोरिया इम्बैंकंमेंट तथा अपर लोअर टेम्स स्ट्रीट पर अप्रैल,2015 से काम चालू हैं। उत्तर प्रदेश में भी साइकिल से यात्रा को समाजवादी सरकार प्रोत्साहित कर रही है और राजधानी लखनऊ में तो कई साइकिल टैऊक बन भी गए है। इनका और भी विस्तार होगा। इंग्लैंड प्रवास में हम टेम्स नदी के किनारे लंदन आई देखने भी गए। इसमें ऊपर जाकर पूरे लंदन का दृश्यावलोकन किया जा सकता है। इसी तर्ज पर लखनऊ में जनेश्वर मिश्र पार्क में लखनऊ आई से लखनऊ देखा जा सकेगा।
लंदन यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने मुझे असुविधा से बचाने के लिए मेरे लिए बिना प्याज और लहसुन के खाने की व्यवस्था कराने में मदद की थी। मुझे यही आशंका थी कि विदेशी धरती पर अपनी खानपान की आदत के चलते दिक्कत जरूर पेश आएगी पर मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई दिक्कत नहीं आने दी। अब बिटेन में भारतीय बड़ी संख्या में बस गए हैं और उनके होटल, रेस्त्रां खुल गए है। भारतीय स्वाद का भोजन अब यहां भी सुलभ है।
हम विदेश में थे तो यहां भी अखिलेश यादव के प्रशंसकों की भीड़ उनके पीछे थी। अखिलेश यादव की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भारत के दूसरे राज्यों के नागरिक जो लंदन घूमने आए थे, सभी ने मुख्यमंत्री को अपना-अपना परिचय दिया और उनके साथ फोटो खिंचवाने की इच्छा जताई। मुख्यमंत्री इसके लिए सहर्ष तैयार हो गए। लंदन में बसे अन्य प्रांतों के लोग भी उनसे मिलने आए और उन्हें अपने घरों में आने के आमंत्रण भी दे रहे थे। हाइड पार्क अथवा ग्रीन पार्क, जो बकिंघम पैलेस के सामने स्थित है, वहां प्रात: घूमने जाने पर मुख्यमंत्री को तमाम लोग घेर लेते थे और अपना परिचय देते थे।