सील खुलवाने की एवज में लाखों का खेल: पार्किंग में मार्केट निर्माण

दिनेश शर्मा, गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में कार्यभार संभालने के बाद यूं तो प्राधिकरण उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश के द्वारा कडा रूख अपनाया हुआ है। इस कडी में चार कर्मचारियों को सस्पेंड करने के साथ दो अवर अभियंताओं के निलंबन की शासन में सिफारिश की है लेकिन माना जा रहा है कि जीडीए वीसी के लिए अवैध निर्माण पर नियंत्रण करना एक बडी चुनौती है। अवैध निर्माण पर प्रभावी तरीके से कंट्रोल हो तो प्राधिकरण अपनी जिस संपत्ति को बेचने के लिए एडी चोटी का जोर लगाता है। उसकी दूर तक भी आवश्यकता पडने वाली नहीं है। मधुबन बापू धाम योजना कभी की धरातल पर साकार हो गई होती। इसके साथ साथ जीडीए के द्वारा जो मार्केट बनायी गई,वह भी व्यवस्थित तरीके से दौड रही होती।
जीडीए को चाहिए कि उसके द्वारा जिन जमीनों का अधिग्रहण किया गया,जिस पर सालों से भू माफिया कुंडली मारे बैठे है,उनके खिलाफ मुहिम छेड़े। पिछले करीब दो दशकों से देखा जाए तो अवैध टाउनशिप की संख्या दिनों दिन बढ रही है। यू तो प्राइवेट बिल्डर्स के सहयोग से एनएच 24 पर क्रॉसिंग टाउनशिप विकसित की गई लेकिन इस क्रासिंग टाउनशिप से चंद कदम पर डूंडा हेडा,अकबरपुर बहराम पुर आदि में देखा जाए तो दिनों दिन अवैध टाउनशिप की संख्या बढ रही है। कृष्णा वाटिका सुदामापुरी में ही प्राइवेट बिल्डर के द्वारा पांच हजार से ज्यादा अवैध फलैट बनाए गए है। इसी तरह से इसके आस-पास के इलाकों में भी कई हजार फलैट खडे किए जा चुके है। हैरत का पहलू ये है कि जिस वक्त ये टाउनशिप विकसित हो रही थीं,उस दौरान प्रवर्तन विभाग की टीम को पता ही नहीं चला,अब जब इन टाउनशिप में लोग आकर बस गए तब कहा जा रहा है कि अब इन टाउनशिप में कार्रवाई किया जाना ही संभव नहीं है। लोनी एवं उसके आस-पास के इलाकों में हाल में जीडीए की सीलिंग की कार्रवाई से प्रभावित लोग जीडीए पहुंचते है। जीडीए अधिकारियों से सील खुलवाने का रास्ता पूछते है। कहा जाता है कि वह लोग तो दिल्ली में रहते थे, कुल जमा पूंजी लगाते हुए बिल्डिंग खडी की,उसे भी सील कर दिया गया। सील खोले जाने के विषय में जीडीए के अधिकारियों के द्वारा जब बताया जाता है कि कम से कम 20 लाख रूपए जीडीए कोष में जमा कराने होंगे। तर्क में कहा जाता है कि जिस वक्त प्लाट खरीदा था,उस दौरान बताया गया था कि किसी तरह का विवाद नहीं आएगा। अब एक साथ कहां से बीस लाख रूपए लाकर दे। जीडीए के नक्शा विभाग से तो तीन यूनिट का नक्शा मंजूर होता है, जबकि देखा जाए तो 80 फीसदी बिल्डरो के द्वारा तीन यूनिट के स्थान पर 25 से 30 फलैट और पार्किंग के हिस्से में मार्केट का निर्माण किया जाता है। ये खेल बिल्डर वे अभियंता के आपसी सहभागिता का नतीजा होता है। हिंडन पार के चाहे इंदिरापुरम का एरिया हो या वैशाली,राजेंद्र नगर, शालीमार गार्डन,विक्रम एन्कलेब आदि में जबरदस्त तरीके से ये खेल थमने के बजाय दिनों दिन बढ रहा है। प्राधिकरण बोर्ड के सदस्यो का कहना है कि जीडीए को अवैध निर्माण पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए। सर्वप्रथम तो जो खेल पार्किग के हिस्सों को मार्केट में तब्दील करने का चल रहा है,उसे रोकना होगा। गाजियाबाद की अधिकांश आवासीय कालोनियों में जाम की समस्या का मुख्य कारण ही आवासीय इमारतों में मार्केट का निर्माण किया जाना है।