देश के विकास के पहिए की धुरी है किसान: सुधीर गोयल

गाजियाबाद। क्षेत्र में मोनू सचिव के नाम से लोकप्रिय सुधीर गोयल महानगर उद्योग व्यापार मंडल गाजियाबाद से संबद्ध फूड ग्रेन एसोसिएशन गाजियाबाद के महासचिव के पद को सुशोभित कर रहे हैं । दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का इतना लंबा खींच जाना, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मीडिया हाउसों द्वारा रोजाना इसका ब्रेकिंग न्यूज़ बनाए जाने तथा आंदोलन स्थल में रोजाना लग रहे भीषण जाम की वजह से समीपवर्ती क्षेत्र के जन जीवन के अस्त व्यस्त हो जाने के कारण साधारण जनता के साथ साथ अनाज मंडी वाले भी बुरी तरह प्रभावित है । सुधीर गोयल से इस विषय पर बात करने पर उन्होंने इस पर अपनी गहरी चिंता प्रकट की । उन्होंने स्पष्ट कहा कि आंदोलन का इस तरह से बिना किसी नतीजे के लंबा चलते रहना अनाज मंडी के लिए वास्तव में परेशानी का सबब है । सुधीर गोयल के अनुसार अनाज मंडी व्यापारी वास्तव में किसान भाइयों के जीवन को सुगम बनाते हैं तथा आड़े वक्त पर उन्हें वित्तीय सहयोग प्रदान कर उनका भरपूर साथ देते हैं जबकि सरकार से अपने अनाज की कीमत प्राप्त करने में किसानों को लंबे वक्त तक इंतजार करना पड़ता है । पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा लोकप्रिय भाजपा नेत्री दिवंगत सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में सदन के पटल पर कहा था कि आढती अथवा मंडी व्यापारी वास्तव में भारतीय किसानों के लिए एटीएम के समान है इसलिए मंडियों को खत्म करना किसानों को विनाश की ओर धकेलना होगा । श्री गोयल ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश एवं केंद्र सरकार की अदूरगामी एवं गलत नीतियां देश के किसान भाइयों के साथ साथ अनाज मंडी वालों के लिए भी निराशाजनक है । यही वजह है कि मंडी व्यापारियों का काम जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा था अब उसमें कोई भी रुचि नहीं दिखाता । बहुत से मंडी व्यापारियों ने तो अब इस व्यापार को बदल लेने नहीं अपनी भलाई समझी है । उनके अनुसार सरकार को आगे बढक़र किसानों का साथ देना चाहिए और इस समस्या के संपूर्ण समाधान की ओर अग्रसर होना चाहिए ताकि हमारा देश खुशी से झूमते हुए जय जवान जय किसान का नारा बुलंद कर सके । सुरेश गोयल एक शिक्षित व्यापारी होने के साथ-साथ एक सुलझे हुए, समाजसेवी तथा दूरदर्शी इंसान है । उन्हें विश्व के कई विकसित एवं संभ्रांत देशों का दौरा करने का मौका मिला जहां उन्होंने उन देशों की सरकार द्वारा वहां के किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी तथा सुविधाओं के बारे में बारीकी से जानने और समझने का प्रयास किया । उन्होंने पाया कि उन देशों किसानों को दी जाने वाली सुविधा के आगे भारतीय किसान कहीं नहीं ठहरते । यहां के छोटे किसान सरकारी वित्तीय सुविधाओं एवं संसाधनों के अभाव के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं । यही कारण है कि सात दशकों से भी अधिक समय से भारत को मिली आजादी के बाद भी यहां के किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं। सुधीर गोयल ने निराशा जताते हुए कहा कि प्रत्येक सरकार ने किसानों को झूठे आश्वासनों से भ्रमित करते हुए अपने अपने वोट बैंक के तौर पर महज इनका इस्तेमाल किया । मंडी समितियों के सुधार हेतु भी अब तक प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम निराशाजनक है । मंडी समितियों में अफसरशाही और भ्रष्टाचार का बोलबाला है । ऐसे में किसान तथा मंडी समितियों के व्यापारी दोनों ही वर्तमान में विषमताओं की चक्की में लगातार पीस रहे हैं। उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा निकट भविष्य में अवश्य ही कोई ठोस कदम उठाते हुए किसान भाइयों की समस्याओं का निराकरण किया जाएगा ।