सपा से निषादों का सवाल: कौन सी उपलब्धि बतायेगी सरकार

lautam ram
लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटन राम निषाद ने कहा है कि जब 1993 में सपा, बसपा गठबन्धन की सरकार में मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो स्वर्गीय मनोहर लाल के प्रयास से मत्स्य पालन व बालू, मौरंग खनन के पट्टे के शासनादेश किये थे। वर्तमान में मत्स्य पालन के लिए तालाबों की खुली नीलामी की जा रही है और प्रति हेक्टयेर प्रति वर्ष न्यूनतम लगान की दर 10,000/- से अधिक होने के कारण पुश्तैनी पेशेवर मछुआरा समाज अपने परम्परागत पेशे से वंचित हो बेकारी व भुखमरी की स्थिति में पहुॅच गया है। मत्स्य पालन पर माफियाओं व बाहुबलियों का सिन्डीकेट कब्जा किये हुए है। विधान सभा चुनाव 2012 में सपा द्वारा 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में सरकार बनने के 72 घण्टे के अन्दर शामिल करने का वायदा किया गया जिसके चलते इन जातियों ने एक जुट होकर सपा का साथ दिया। उन्होंने कहा कि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण तो नहीं मिला बल्कि 1959 से मल्लाह, केवट, कहार, लोध, भर आदि जातियों को विमुक्त जाति में शामिल कर शिक्षण, प्रशिक्षण में अनुसूचित जनजाति के समान आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है था उसे 10 जून, 2013 को खत्म कर दिया गया।
श्री निषाद ने कहा कि मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने की घोषणा की गयी परन्तु मछुआरों को इसका कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है। लोक सभा चुनाव से पूर्व 17 अतिपिछड़ी जातियों को 30 विभाग की 76 योजनाओं में 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक आरक्षण का शासनादेश किया गया परन्तु प्रदेश में एक भी व्यक्ति को इसका कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने सपा के साथ इन जातियों को मजबूती के साथ जोडऩे के लिए 17 अतिपिछड़ी जातियों को 7.5 प्रतिशत विशेष आरक्षण देने या विमुक्त जातियों का आरक्षण बहाल कर महाराष्ट्र पैटर्न पर जनसंख्यानुपाती कोटा दिये जाने, मत्स्य पालन को कृषि के दर्जे का लाभ देने, मत्स्य पालन पट्टा का शासनादेश कर नीति निर्धारण करते हुए सर्किल रेट पर लगान निश्चित करने व श्रेणी-3 के तालाबों की बहाली कर पूर्व की भांति मछुआरों को सिर धरी का अधिकार देने की मांग किया है। मांझी, मल्लाह, केवट, राजगौड़ को मझवार के नाम से प्रमाण-पत्र जारी करने का स्पष्ट आदेश सक्षम अधिकारियों को निर्गत करने की भी मांग किया है।
श्री निषाद ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा निषाद, मछुआरा समाज के हित में एक भी कार्य नहीं किया गया है। निषाद राज जयन्ती का अवकाश घोषित करने के अलावा कोई भी उपलब्धि नहीं है। आखिर 17 अतिपिछड़ी जातियों विशेषकर निषाद मछुआरों में सपा सरकार कौन सी उपलब्धि का प्रचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन मंत्री निषाद समाज का न बनाकर मछुआरा विरोधी को बनाया गया है जो मछुआरों के अधिकारों को छीनने की नीति बना रहें हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 7 अगस्त को प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर आरक्षण व अधिकार की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन, 9 अगस्त को जौनपुर में निषाद आरक्षण पंचायत, 17 अगस्त को सीतापुर, 19 उन्नाव, 18 हरदोई, 20 को बाराबंकी, 21 रायबरेली, 25 को बहराइच जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन, 23 अगस्त को बाह-आगरा में मण्डलीय निषाद आरक्षण महापंचायत तथा 31 अगस्त को विमुक्त जाति दिवस के अवसर पर जीपीओ पार्क में आरक्षण व मछुआरा अधिकार की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन तथा पिछड़ों के मसीहा बाबू राम चरण मल्लाह पूर्व एमएलसी की जयन्ती के अवसर पर 80 घाट वाराणसी में समारोह के साथ मझवार तुरैहा, गोड़, तड़माली, को परिभाषित करने, रेणके कमीशन की रिपोर्ट लागू करने, राष्ट्रीय मछुआरा आयोग का गठन करने की मांग को लेकर पीएमओ का घेराव किया जायेगा।