छत्तीसगढ़: पुलिस ने फिर दोहराई वीकली ऑफ की मांग

रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों को साप्ताहिक अवकाश देने की सरकार की घोषणा के बाद कुछ महीने तक अवकाश तो दिया गया, लेकिन बाद में बल की कमी बताकर बंद कर दिया गया। पुलिस परिवार आंदोलन से जुड़े लोगों ने फिर से मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है। मुख्यंत्री भूपेश बघेल साप्ताहिक अवकाश बंद करने के फैसले को लेकर नाराजगी भी जता चुके हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में लंबे समय से बल की कमी बनी हुई है। वर्तमान में रायपुर जिले में करीब तीन हजार बल है, जबकि पांच सौ बल की कमी बनी हुई है। कोरोना के फैलते संक्रमण को रोकने लाकडाउन के दौरान सात सौ से अधिक जवानों ने 12 से 14 घंटे तक बिना छुट्टी लिए ड्यूटी की है। साप्ताहिक अवकाश तो दूर, जवानों को सरकारी छुट्टियों में भी ड्यूटी करने विवश होना पड़ता है। जवानों का कहना है कि 14 घंटे ड्यूटी करने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन छुट्टी के दिनों में काम की क्षतिपूर्ति के रूप में साल में केवल एक माह का अलाउंस दिया जाता है, जबकि ड्यूटी एक माह से अधिक ली जाती है। अभी भी साइकिल भत्ता मिलता है, जबकि हर किसी के पास दोपहिया वाहन हैं। बाइक भत्ता दिया जा सकता है। दिन-रात ड्यूटी कर रहे जवानों को छह घंटे की नींद भी नसीब नहीं हो पा रही है। कभी आधी रात तो तडक़े ड्यूटी पर बुला लिया जाता है। कोरोना के साथ तनाव की जंग लड़ रहे जवानों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। दो साल पहले राज्य सरकार ने निरीक्षक से लेकर सिपाही तक को साप्ताहिक अवकाश देने का फैसला लिया था। शुरूआत में कुछ महीने तक छुट्टी दी भी गई, लेकिन बाद में बल की कमी बताकर विभाग के अफसरों ने यह सुविधा भी बंद कर दी।