जानिए कहां भोलेनाथ को माता ने कराया था स्तनपान

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फीचर डेस्क। मां के चमत्कार की आपने कई कहानियां सुनी होगी लेकिन मां तारा धाम मंदिर के निर्माण के बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने विषपान किया था तो विष के प्रभाव से उनका कण्ठ नीला पड़ गया और विष के असर को कम करने के लिए मां तारा ने उन्हें स्तनपान कराया था। इस मंदिर में मौजूद मां तारा की प्रतिमा में मां की गोद में भगवान शिव आज भी विराजमान हैं। मंदिर बनने के बाद प्राकृतिक कारणों से दो बार मंदिर पूरी तरह से नष्ट हो गया था लेकिन मां की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंता जिसके बाद उनके भक्तों ने पुन: इस मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया।
पश्चिम बंगाल के वीरभूिम में मौजूद मां तारा के धाम के दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता। शंख के पवित्र नाद से गूंजता मां का दरबार, देवी दर्शन को आतुर श्रद्धालुओं की भीड़, माता के गीतों को गाते-गुनगुनाते भक्त, मन में भक्ति और आंख में पल भर मां को निहार लेने की चाहत। मां तारा के मंदिर में भक्ति का ये अलौकिक नज़ारा दिखता है जो कि भक्तों को बांध लेता है, भक्ति के रस में डुबो देता है। माना जाता है कि मां को स्नान कराना पूजा का अभिन्न अंग है जिसमें मदिरा का प्रयोग अनिवार्य होता है। सबसे अनोखी बात है कि मां की आरती के बाद सबसे पहले मां को मिश्री के पानी का भोग लगाया जाता है। यूं तो सालभर मां को खीर, दही, मिठाई खिचड़ी, सब्जी और पांच तरह के पकवान का भोग लगाया जाता है लेकिन मां के भोग में मिठाई का होना बेहद जरूरी है। कहते हैं मां को मिठाई का भोग लगाने से मां जल्द प्रसन्न होकर भक्तों को दे देती हैं मनचाहा वरदान। संध्या आरती से पहले शाम में मां का फूलों से श्रृंगार होता है और रात में शीतल भोग लगाने के बाद ही मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं।
आमतौर पर भक्त तो दिन में ही माता की पूजा अर्चना करते हैं लेकिन तंत्र साधना करने वाले रात में मां की साधना करते हुए दिखायी देते हैं। कहते हैं गुप्त विद्या की प्राप्ति के लिए यहां साधना करने वालों को मां का आशीर्वाद जरूर मिलता है। मंदिर के पास ही नदी के किनारे श्मशान घाट के पास कई साधक घंटों तपस्या कर मां से सिद्धियां प्राप्त करते हैं।