छग में बघेल ने शुरू की चिराग परियोजना

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में ‘चिराग’ परियोजना की शुरुआत की। परियोजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी के अवसर बढ़ाना, गांवों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना और क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना है। मुख्यमंत्री बघेल ने बुधवार को जगदलपुर में चिराग परियोजना की शुरुआत की। शहर के कुम्हरावंड स्थित शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय परिसर में आयोजित कृषि मड़ई कार्यक्रम में परियोजना की शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री ने विश्व बैंक की सहायता से संचालित होने वाली लगभग 1735 करोड़ रुपए की इस परियोजना को बस्तर के लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाली अब तक की सबसे बड़ी परियोजना बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘चिराग परियोजना’ छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग सहित 14 जिलों में लागू की जाएगी जो आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नई रौशनी फैलाएगी। बघेल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना, गांवों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना तथा प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की कार्यप्रणाली का विकास करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के माध्यम से कृषि क्षेत्र में विकास के नए और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने इस दौरान धान की खरीद और उर्वरकों की आपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि जब हमने किसानों से 2,500 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदा, तब केंद्र को इससे परेशानी थी। उन्होंने कहा था कि धान के समर्थन मूल्य से एक रुपया अधिक नहीं दिया जा सकता है। अभी भी वह यह कहकर बाधा डाल रहे रहे हैं कि आप (राज्य सरकार) बोनस नहीं दे सकते, उसना चावल (केंद्रीय पूल में) स्वीकार नहीं किए जाएंगे और आपको जूट के बोरे नहीं मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद रही है और नौ हजार रूपए (प्रति एकड़) की इनपुट सब्सिडी दे रही है। बघेल ने कहा कि दुख की बात है कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं करती है। अब स्थिति और खराब होने वाली है क्योंकि केंद्र द्वारा डीएपी उर्वरक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। हमारा राज्य ही नहीं बल्कि भाजपा शासित राज्य भी इस कमी का सामना कर रहे हैं। लेकिन हमारी सरकार ने पिछले साल गोधन न्याय योजना शुरू की थी जिसके तहत पिछले एक साल में लगभग 12 लाख क्विंटल वर्मी-कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है।