सीएम साहब: देखिए क्या कर रहे हैं आपके मनोनीत अध्यक्ष

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विशेष संवाददाता
लखनऊ। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और सीएम अखिलेश यादव भले ही कितना ही कहते हों कि उनकी सरकार में सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है मगर ऐसा है नहीं। उनके द्वारा बांटी गयी रेवड़ी पाने वाले लोग खुलेआम नियमों को धता बता रहे हैं और उनकी ही सरकार के नियम कानून को मानने से इनकार कर रहे हैं। मामला है यूपी के विज्ञान एवं प्रोद्यौगिक विभाग के अधीन रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन सेंटर में निदेशक के पद को लेकर विवाद का। रिमोट सेन्सिंग विभाग के मनोनीत अध्यक्ष अशोक यादव द्वारा की जा रही मनमानी के चलते जहां विभागीय कार्य प्रभावित हो रहा है वहीं कर्मचारी भी उत्पीडऩ का शिकार हो रहे हैं। अध्यक्ष की कार्यप्रणाली लगातार विवाद का कारण बनती जा रही है और उनकी मनमर्जी जारी है।
मिली जानकारी के अनुसार रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन सेंटर के कार्यवाहक निदेशक पद पर डा.राजीव मोहन कार्य कर रहे थे मगर किन्हीं कारणों के चलते उनको हटाकार चार्ज वी.राजामणि को दे दिया गया। रिमोट सेन्सिंग के अध्यक्ष बनाये गये अशोक यादव द्वारा राजीव मोहन को हटाकर राजामणि को चार्ज देने के बाद से ही विवाद गहराया है। नियमानुसार निदेशक को हटाने का अधिकार केवल शासन को है अध्यक्ष द्वारा उनको नहीं हटाया जा सकता है मगर सारे नियमों को ताख पर रखकर राजामणि को निदेशक बना दिया गया। इसका पता जब शासन को चला तो विभाग के प्रमुख सचिव ने एक आदेश भी जारी किया कि निदेशक को बिना शासन की मर्जी के हटाया नहीं जा सकता मगर इसके बाद भी अशोक यादव अपनी सत्ता की हनक में चूर हैं और नियम कानून को ढेंगा दिखा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 11 अगस्त को अध्यक्ष अशोक यादव ने एक कार्यालयी आदेश संख्या सीजीवी 2015-207 जारी करके यह आदेश जारी किया कि मौजूदा निदेशक राजीव मोहन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक वाद चल रहा है जिसके कारण उनको हटाकर चार्ज वी.राजामणि को दे दिया जाये। इस आदेश में बताया गया कि राजीव मोहन पर गंभीर आरोप भी हैं जिसके कारण उनको हटाया गया है। अध्यक्ष की इस कार्यवाही के बाद 14 अगस्त को पत्र संख्या 32-45 वी-2015-6-2002 के द्वारा प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार ने कार्यालयी आदेश जारी करके स्पष्टï किया कि राजीव मोहन ही निदेशक बने रहेंगे चूंकि अध्यक्ष को अधिकार नहीं है कि वह बिना शासन के आदेश के निदेशक को हटा सकें। प्रमुख सचिव ने मेमोरेंडम आफ रूल्स का हवाला देते हुए कहा कि अध्यक्ष की कार्यवाही नियम के विपरीत है इसलिए वी. राजामणि को निदेशक पद का चार्ज दिये जाने का आदेश निरस्त किया जाता है। प्रमुख सचिव के आदेश के बाद भी इस विभाग में अध्यक्ष की मनमर्जी जारी है। निदेशक के कार्यालय को सील कर दिया गया है और विभागीय कर्मचारी संशय में है कि आखिर अपना निदेशक वह किसको मानें। सूत्रों के अनुसार विभाग में काफी गोलमाल भी किया जा रहा है जिसका विरोध राजीव मोहन ने किया था इसके चलते अध्यक्ष ने उनको हटा दिया। अध्यक्ष और निदेशक के बीच जारी इस टसल के कारण एक ओर जहां कार्य प्रभावित हो रहा है वहीं अध्यक्ष की मनमर्जी और हनक से लोग परेशान हैं। इस बारे में जब प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार से उनके फोन नम्बर 7619961111पर सम्पर्क किया गया तो फोन नहीं उठा। बहरहाल रिमोट सेन्सिंग विभाग राजनीति का अखाड़ा बन गया है और आपसी खींचतान के कारण मामला गंभीर होता जा रहा है। इस बारे में राजीव मोहन से भी सम्पर्क करने की कोशिश की गयी मगर विफल रही।