अरबों की जमीन पर है बाबा की आत्मा का पहरा

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हनुमान जायसवाल
अमेठी। आत्माओं के संसार को लेकर विज्ञान हमेशा से इसके अस्तित्व को ही नकारता रहा है। मगर उसके बाद भी ऐसी कुछ घटनाएं घटित होती रहती हैं जिससे न चाहते हुए भी हमें आत्माओं की मौजूदगी का एहसास होता है और उनके द्वारा अंजाम दिये जाने वाले घटनाक्रमों पर विश्वास करना पड़ता है। आत्माओं का जिक्र जब भी आता है तब बदन में अजीब से सुरसुरी पैदा हो जाती है। माना जाता है जब भी किसी की अकाल मौत होती है तो उसका शरीर तो नष्ट हो जाता है मगर उसकी आत्मा वहीं रहती है। विशलेषकों का मानना है कि आत्माएं दो प्रकार की होती है एक तो वह जो नेक काम करती हैं तो दूसरी वो जो अपना बदला पूरा करतीं हैं और लोगों को डराती भी हैं।
ऐसा ही कुछ वाकया है अमेठी जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर स्थित एक गांव का। इस गांव में एक बाबा की आत्मा निवास करती है और अपनी 500 बीघे की जमीन की हिफाजत करती है। सैकड़ों बीघे में फैला जंगल इस जगह को और भयावह बना देता है। आत्मा का खौफ ऐसा है कि सैकड़ों साल बीतने के बाद भी आज तक उस जमीन की तरफ कोई आंख तक उठाकर नहीं देखता। गांव के लोगों की माने तो उस खाली पड़ी जमीन पर कई बार कब्जा जमाने की कोशिश की गयी मगर उनको इसका खमियाजा भुगतना पड़ा। किसी के घर में आग लग गयी तो किसी की मौत हो गयी। आत्मा का खौफ गांव के लोगों के अंदर इस कदर है कि शाम के बाद उस तरफ जाना भी लोग मुनासिब नहीं समझते। अमेठी से 20 किमी दूर गांव पूरब बिसारा (मुसाफिरखाना) में है टिकैत बाबा का खौफ। टिकैत बाबा के नाम दर्ज इस जमीन की कीमत आज अरबों में है मगर उस पर किसी की निगाह तक नहीं टिकती।
गांव के लोगों के अनुसार आज से सैकड़ों साल पहले एक बाबा गांव की इस खाली जमीन पर रहने लगे थे जोकि बाद में उनके नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दी गयी थी। उस समय अग्रेजों का शासन था और राजस्व वसूली का अभियान चरम पर था। अंगे्रज सैनिक राजस्व वसूली के लिए लोगों को कड़ी प्रताडऩा देते थे। ऐसे में टिकैत बाबा पर भी अंगे्रज सैनिक राजस्व देने के लिए दबाव बनाने लगे और एक दिन बाबा ने इसी जमीन में गड्ढ़ा खोदकर अपने आप को दफन कर लिया। दफन करने से पहले उन्होंने गांव वालोंं से कहा कि उनकी लाश को जलायेंगे नहीं। तब से लेकर आज तक लोग उस खाली जमीन पर कुछ करना ठीक नहीं समझते हैं। कुछ साल पहले वन विभाग के एक अफसर ने इस जमीन पर पेड़ लगाने की कोशिश की थी मगर बाद में उसका हश्र काफी बुरा रहा। इस तरह गांव के सम्पन्न लोगों ने भी कई बार इस पर कब्जा करने की कोशिश मगर उसका खमियाजा भुगतना पड़ा। बाबा की आत्मा आज भी इस जमीन की रक्षा करती है और जो भी इस जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करता है उसका विनाश तय हो जाता है। गांव के निवासी कुलभूषण शर्मा ने बताया कि इस जमीन के कुछ हिस्से पर कुछ लोग खेती करते हैं मगर बाबा के नामपर पैदा हुए अनाज का हिस्सा निकाल कर भंडारे के माध्यम से खर्च कर दिया जाता है जिससे बाबा के शाप से बच जाता है। बाबा की जमीन के बीचोबीच समाधि स्थल बनाया गया है जहां पूजा पाठ करते हैं।