अपने ही करा रहे अखिलेश सरकार की किरकिरी

cm newयोगेश श्रीवास्तव। लखनऊ। अखिलेश सरकार द्वारा आयोगों और बोर्डो में की गई नियुक्तियों पर न सिर्फ सवाल उठ रहे है बल्कि अब तक ऐसी आधा दर्जन नियुक्तियां हाईकोर्ट के आदेश से रद्द की जा चुकी है। यहीं नहीं सरकार द्वारा सेवानिवृत आईएएस अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति दिए जाने और उनसे प्रमुख सचिव स्तर का काम लिए जाने पर भी हाईकोर्ट काफी सख्त है। अखिलेश सरकार के साढ़े तीन साल से ज्यादा के कार्यकाल में न सिर्फ कई आयोगोंके अध्यक्षों को पद से हटाया गया। बल्कि आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को ऐसे पदों पर नियुक्ति किए जाने पर यह सवाल भी किया गया कि क्या इन पदों के लिए दूसरे योग्य व्यक्ति नहीं थे। इन नियुक्तियों को लेकर इससे पहले भी न्यायालय की तल्खी के चलते सरकार की काफी किरकिरी हुई है और विपक्ष को इन नियुक्तियों के मुद्दे पर सरकार को सदन से सड़क तक घेरने का मौका भी मिला है। बुधवार को हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच ने उप्र लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव की नियुक्ति रद्द कर दी। जबकि पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने राज्य सेवा लोकसेवा आयोग के सचिव के काम पर पहले ही रोक लगी दी थी। हाईकोर्ट की यह कार्यवाही पहली नहीं है इससे पहले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डा.सनिल कुमार यादव को भी हटाया जा चुका है। इसके अलावा बोर्ड के तीन सदस्यों आशालता सिंह, अनिता यादव और ललित कुमार श्रीवास्तव के काम पर रोक लगा चुका है। दस सदस्यीय माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में अब सिर्फ तीन ही सदस्य कार्यरत है। बोर्ड के अध्यक्ष को कोर्ट ने पहले ही हटा दिया था तीन सदस्यों के कार्यो पर रोक लगी है। जबकि तीन सदस्यों के पद बोर्ड में रिक्त चल रहे है। इसी तरह उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष लाल बिहार पांडेय को भी कोर्ट ने एक जनहित याचिका में सुनवाई के बाद पद से हटा दिया है। पांच सदस्यीय यह आयोग अब शीर्षविहीन हो गया है। इसी क्रम में आज उच्च न्यायालय ने अपने अह्म फैसले में राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की भी नियुक्ति को रद्द कर दिया है। जबकि सचिव के पद पर कार्यरत अधिकारी के कार्य पर पिछले हफ्ते ही रोक लगायी जा चुकी है। आयोगों और बोर्डो के इन नियुक्तियों के अलावा रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों को भी महिमामंडित किए जाने पर उच्च न्यायालय आपत्ति दर्ज करा चुका है। ऐसे ही प्रोन्नत आईएएस श्रीप्रकाश सिंह को सेवानिवृत्ति होने के बाद उनसे प्रमुख सचिव का काम लिए जाने पर उच्च न्यायालय न स ती दिखाई साथ उनके काम करने पर रोक भी लगा रखी है। इस मामलें उच्च न्यायालय में प्रदेश के मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करना है। श्रीप्रकाश सिंह के काम पर रोक लगाने के बाद भी अभी आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे अधिकारी है जो रिटायर होने के बाद सरकार में महत्वपूर्ण विभागों पर तैनात है।