जौनपुर। जनपद में मैहर मन्दिर के नाम से जाने वाला शक्तिपीठ अपनी स्थापना के मार्त 12 वर्षो में अपनी अलग पहचान और आस्था का केन्द्र का बन चुका है। समान्य दिनों में भी यहां मां शरदा के पूजन में प्रयोग आने वाले सामानों की दर्जनों दुकाने सजी रहती है और लोग वहां जाकर मां के चरणों में श्रद्धा और विश्वास के साथ शीश झुकाते हैं। मां शारदा शक्तिपीठ नगर के दक्षिणी छोर मोहल्ला परमानतपुर में कुछ भूमि खरीदकर समाजसेवी संत प्रवर बाबू राधेश्याम गुप्त ने बनाया। शेष भूमि पर अपने परिवार के सदस्यों के लिए रिहायशी मकान बनवाना शुरू किया। वर्ष 1988 में गुप्त का कान सुन्न हो गया। कई जगह इलाज के बाद जब वे ठीक नहीे हुए तो मैहर वाली मां सतना के दरबार में पहंचे। मां की कृपा से उनका कान ठीक हो गया तो उन्होंने मनौती पूरी होने पर 4 मार्च 1993 को मां शारदा की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का कार्य शारदा पीठ सतना के प्रधान पुजारी स्वामी देवी प्रसाद द्वारा संपन्न कराया। आज पूरे गौरव और प्रतिष्ठ के साथ यह शक्तिपीठ जनपद की सरजमीं पर अपना आशीष बांट रहा है। आस्थावान जो कठिनाइयों ओर आस्थागत असुविधा के कारण मैहर जाकर दर्शन नहीं कर पाते। यहां आकर मां के चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित कर रहे है। विघ्न, रोग,शोक, पुत्र व धन हानि आदि के कष्ट निवारण की कामना सुनकर मां अपने भक्तो का कल्याण कर रही है। हजारों आस्थावान नर नारी बूढ़े बच्चे प्रत्येक दिन कुछ मांगने व मुण्डन कराने वालो का नवरात्र में ताता लगा रहता है। हजारों की संख्या में लोग यहां आकर मां के चरणों में अपनी श्रद्धासमर्पित कर रहे हैं।