प्रियंका योशीकावा: नस्लभेद मानवता का अभिशाप

ललित गर्ग। जिसमें हम जीते हैं, वह है सभ्यता और जो हममें जीती है वह है संस्कृति। संस्कृति ने अपने जीने का सबसे सुरक्षित स्थान मानव मस्तिष्क, मानव मन एवं मानव शरीर चुना और मानवीय मूल्यों का वस्त्र धारण किया, पर आज मानव उन मूल्यों को अनदेखा कर रहा है, तोड़ रहा है। मात्र संकुचित और संकीर्ण स्वार्थ के लिए। हजारों वर्षों में दुनिया में कहीं-न-कहीं धर्म और नस्लभेद के नाम पर मानव जाति में टकराव होते रहे हैं। इसका ताजा मामला जापान का सामने आया है। जैसे ही भारत…

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संवत्सरी आत्मोत्थान का महान पर्व है

आचार्य डॉ. लोकेशमुनि। जैन धर्म में संवत्सरी महापर्व का अत्यधिक विशिष्ट महत्व है। वर्ष भर में अपने द्वारा जान अनजाने हुई समस्त भूलों के लिए प्रायश्चित करना तथा दूसरों के प्रति हुए अशिष्ट व्यवहार के लिए अंत:करण से अत्यन्त सरल, ऋजु व पवित्र बनकर क्षमा माँगना व दूसरों को प्रदान करना इस महान पर्व का हार्द है। भगवान महावीर ने कहा ‘क्षमा वीरों का आभूषण हैÓ- महान व्यक्ति ही क्षमा ले व दे सकते हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर भी कहते है- ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल…

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भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं गणेश

ललित गर्ग। गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, वे सात्विक देवता हैं और विघ्नहर्ता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हंै। हर तरफ गणेश ही गणेश छाए हुए है। मनुष्य के दैनिक कार्यों में सफलता, सुख-समृद्धि की कामना, बुद्धि एवं ज्ञान के विकास एवं किसी भी मंगल कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न करने हेतु गणेशजी को ही सर्वप्रथम पूजा जाता है, याद किया जाता है। प्रथम देव होने के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व बहुआयामी…

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सच्चा अध्यापक: संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

भारतीय इतिहास में एक राजा की कहानी आती है जिसके पाँच पुत्र थे। दुर्भाग्य से वे चतुर नहीं थे और उन्हें कुछ भी सिखाना बहुत कठिन था। वास्तव में राजा उन सबको मूर्ख समझता था। वे अपने कार्य के प्रति गंभीर नहीं थे, यहाँ-वहाँ मसखरी करते रहते थे और अपनी पढ़ाई में से एक भी बात नहीं सीखना चाहते थे। एक दिन राजा अपनी रानी के साथ मिलकर विचार-विमर्ष करने लगा कि बच्चों का क्या किया जाए? आखिरकार, एक दिन उनमें से कोई एक राजा का उत्तराधिकारी होगा और राजा…

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उत्तर प्रदेश में सुरक्षित नहीं दलित महिलायें

एस.आर. दारापुरी। हाल में राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो द्वारा क्राईम इन इंडिया- 2015 रिपोर्ट जारी की गयी है. इस रिपोर्ट में वर्ष 2015 में पूरे देश में दलित उत्पीडऩ के अपराध के जो आंकड़े छपे हैं उनसे यह उभर कर आया है कि इसमें उत्तर प्रदेश काफी आगे है. उत्तर प्रदेश की दलित आबादी देश में सब से अधिक आबादी है जो कि उत्तर प्रदेश की आबादी का 20.5 प्रतिशत है. रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2015 में दलितों के विरुद्ध उत्पीडऩ के कुल 45,003 अपराध घटित हुए जिन…

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