फीचर डेस्क। मां के चमत्कार की आपने कई कहानियां सुनी होगी लेकिन मां तारा धाम मंदिर के निर्माण के बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने विषपान किया था तो विष के प्रभाव से उनका कण्ठ नीला पड़ गया और विष के असर को कम करने के लिए मां तारा ने उन्हें स्तनपान कराया था। इस मंदिर में मौजूद मां तारा की प्रतिमा में मां की गोद में भगवान शिव आज भी विराजमान हैं। मंदिर बनने के…
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रणथम्भौर में होती हैं बाघों की अठखेलियां
फीचर डेस्क। जंगल में घूमते बाघों देखने की चाहत सबको होती है। क्योंकि बाघ को खुले में देखने के अनुभव बहुत अद्भूत और रोमांच भरा होता हैं और लम्बे समय तक यादगार भी। बाघ को जंगल का राजा क्यों कहते हैं, इसके असल मायने बेखौफ खुले जंगल में और झुंड में देखने से ही पता लगता हैं। यह दिल में रोंमाच की लहर दौड़ा देने वाला नजारा होता है। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख बाघ क्षेत्रों में एक हैं। यहां टाइगर रिर्जव की सफारी आपके इस चाहत को पूरा…
Read Moreदिल जीत लेगी चिपलुन की मेहमान नवाजी
फीचर डेस्क। महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में एक पर्यटन स्थल है चिपलुन। यह अरब सागर के पश्चिमी घाट के पास है। समुद तट के पास होने के कारण यहां सालभर मौसम गर्म और ठंडा दोनों प्रकार का रहता है। वाशिष्टि नदी के किनारे बसा होने के कारण यहां पर्यटक ट्रेकिंग और नौका विहार दोनों का आनंद ले सकते हैं। पड़ोसी महानगरों से आने वाले ज्यादातर टूरिस्ट यहां की तेज रफ्तार जिंदगी से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। पिछले कुछ सालों से चिपलून ने अपने को मिनी पर्यटन केंद्र के रूप में…
Read Moreगोलू देव: अर्जियां लिखकर टांगने से पूरी होती है मनौती
फीचर डेस्क। उत्तराखंड की खूबसूरती किसी से छिपी नहीं है। वहीं इस खुबसूरती में भगवान का वास होने की वजह से इसे देव भूमि पुकारा जाता है। यहां आने वाले पर्यटक को यहां की सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देती है। यहां के विशेष मंदिर और उनकी कथाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक मंदिर अल्मोड़ा जिले में है। चित्तई स्थित गोलू देव का मन्दिर दुनियां का अनोखा मंदिर है। इसके बारे में कहा जाता है कि दुनिया में किसी मन्दिर में इतनी घंटियां नहीं चढ़ायी गई हैं, जितने अकेले…
Read Moreजानिए द्वारका धाम की महिमा
फीचर डेस्क। गुजरात के पश्चिमी सिरे पर समुन्द्र के किनारे बसा हुआ है द्वारका । आज से हजारों वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने इसे बसाया था। कृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, गोकुल में पले, पर राज उन्होंने द्वारका में ही किया। यहीं बैठकर उन्होंने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली। पांडवों को सहारा दिया। धर्म की जीत कराई और, शिशुपाल और दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं को मिटाया। द्वारका उस जमाने में राजधानी बन गई थीं। बड़े-बड़े राजा यहां आते थे और बहुत-से मामले में भगवान कृष्ण की सलाह…
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