उत्तर प्रदेश में सारे किंतु-परंतु को पीछे छोड़कर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का एक साथ आना राज्य में एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत है। इस गठबंधन को कितनी चुनावी सफलता मिलती है, यह तो समय बताएगा मगर इसमें प्रदेश की सियासी जड़ता तोडऩे की कोशिश जरूर झलकती है। पिछले कई दशकों से राज्य की राजनीति जातियों-समुदायों की एक बनी-बनाई धुरी पर नाच रही थी। नब्बे के दशक में बीजेपी ने हिंदुत्व के नारे के तहत अगड़ी जातियों की धुरी बनाकर अपना जनाधार तैयार किया था, जिसके बरक्स मुलायम सिंह…
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पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे
ललित गर्ग। आदर्श की बात जुबान पर है, पर मन में नहीं। उडऩे के लिए आकाश दिखाते हैं पर खड़े होने के लिए जमीन नहीं। दर्पण आज भी सच बोलता है पर हमने मुखौटे लगा रखे हैं। ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व के सामने सबसे बड़ी गंभीर समस्या है और हम पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन प्रदूषित करते जा रहे हैं। ऐसी निराशा, गिरावट व अनिश्चितता की स्थिति में एक व्यक्ति पर्यावरण को बचाने के लिये बराबर प्रयास कर रहा है। यह व्यक्ति नहीं है, यह नेता नहीं है, यह विचार है, एक…
Read Moreमतदान के प्रति जागरुक हों मतदाता
सुरेश हिन्दुस्थानी। विश्व के सभी देशों में उसके नागरिकों के मन में अपने देश के प्रति असीम प्यार की भावना समाहित रहती है। इसी भावना उस देश की मतबूती का आधार भी होता है। जिस देश में यह भाव समाप्त हो जाता है, उसके बारे कहा जा सकता है कि वह देश या तो मृत प्राय: है या समाप्त होने की ओर कदम बढ़ा चुका है। हम यह भी जानते हैं कि जो देश वर्तमान के माहजाल में अपने स्वर्णिम अतीत को विस्मृत कर देता है, उसका अपना खुद का…
Read Moreकश्मीरी पंडितों की सुध
कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के 27 साल बाद उनकी वापसी के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित प्रस्ताव का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन इसकी सार्थकता तभी साबित होगी, जब उनकी घर वापसी के अनुकूल माहौल भी बनाया जाये। निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद के विरोध को अगर अपवाद मान लें तो यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि कश्मीरी पंडितों के पलायन की 27वीं वर्षगांठ पर यह प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि विपक्ष के नेता एवं नेशनल कानफ्रेंस के मुखिया उमर अब्दुल्ला…
Read Moreकरप्शन ज्यों का त्यों
नोटबंदी के जरिए करप्शन और काले धन के खिलाफ जारी सरकारी जंग में ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल का सालाना करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (2016) भारत के लिए कोई खास खुशी की खबर नहीं लाया है। इस सूची में हमारा देश पिछले साल के मुकाबले 76 वें स्थान से खिसक कर 79वें नंबर पर पहुंच गया है। हालांकि गिरावट का कारण इस तथ्य को बताया जा रहा है कि इसमें पिछले साल के मुकाबले आठ देश बढ़ गए हैं। अलबत्ता अंकों के लिहाज से थोड़ी राहत जरूर है क्योंकि पिछले साल मिले 38 के…
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