मजबूत लोकतंत्र के लिये नये लीडर तलाशने होंगे

ललित गर्ग। वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र एक जीवित तंत्र है, जिसमें सबको समान रूप से अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार चलने की पूरी स्वतंत्रता होती है। लोकतंत्र की नींव जनता के मतों पर टिकी होती है। नागरिकों की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप प्रशासन देने वाला, संसदीय प्रणाली पर आधारित इसका मजबूत संविधान है। लेकिन उत्तराखंड हो या अरुणाचल प्रदेश-लोकतांत्रिक मूल्यों को टूटते-बिखरते देखा गया है। ऐसी ही स्थितियों और राजनीतिक प्रक्रिया के कारण आम लोगों में अरुचि और अलगाव बहुत साफ दिखाई देता है, इसके…

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समाज के उपेक्षितों को शरण देते हैं शिव

ललित गर्ग। देवों के देव शिव की भक्ति के लिये सावण मास का विशेष महत्व है। शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए यह समय भक्तों और साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। इस समय सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं।सावण मास को मासोत्तम मास कहा जाता है। सावण मास अपना एक विशिष्ट महत्व रखता है। यह माह अपने हर एक दिन में एक नया सवेरा…

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दांव पर लगी है हस्ती हमारी

क्षमा शर्मा। दुनिया में बहुत कम देश ऐसे होंगे जहां प्रकृति के इतने अनोखे नजारे मौजूद हैं, नदियां हैं , पहाड़ हैं, बर्फ से ढके तो बिल्कुल ऐसे भी जिन पर किसी वनस्पति का नामो निशान तक नहीं। तरह-तरह के पत्थर कहीं संगमरमर तो कहीं लाल। नदियां, झरने, झील, तालाब, पोखर, कुएं, बावड़ी। एक तरफ लहराता समुद्र तो दूसरी तरफ रेत के टीलों को इधर से उधर ले जाती रेगिस्तानी हवाएं और इस रेत से बना विशालकाय रेगिस्तान। छह प्रकार की ऋतुएं। जिनके वर्णनों से हमारा पूरा साहित्य भरा पड़ा…

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गुरु पूर्णिमा आत्म-बोध की प्रेरणा का शुभ त्योहार

ललित गर्ग। पश्चिमी देशों में गुरु का कोई महत्व नहीं है विज्ञान और विज्ञापन का महत्व है परन्तु भारत में सदियों से गुरु का महत्व रहा है। जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं।…

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आफत बन गई राहत की बरसात

पंकज चतुर्वेदी। जहां अभी कल तक सूखे का दर्द था, आज बरसात कहर बन गई है। जिसने खेत जोते व बोये, उसे बीज नष्ट होने का डर सता रहा है। याद हो कि मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के लगभग 14 जिलों में फैले बुंदेलखंड के सैकड़ों गांव बीते आठ महीने से पानी की कमी के चलते वीरान हो गए थे। लेकिन इस बार आषाढ़ के पहले ही पक्ष में दो दिन ऐसा पानी बरसा कि बाढ़ के हालात बन गए, जो प्रशासन अभी तक सूखा राहत का गणित लगा रहा…

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