आतंकवाद बनाम मानवीयता

शालिनी श्रीवास्तव, आए दिन घट रहे आतंकी घटनाओं से न सिर्फ अपना मुल्क बल्कि पूरा विश्व चिंतित है। साल के शुरुआत में ही दिल्ली के पठानकोट में घटित आतंकी घटना यह साबित करता है कि आतंकवादी वारदातों को रोकना इस साल की एक बड़ी चुनौती रहेगी। जिस तरह से आतंकी अपने नापाक कारनामों को अंजाम देते आये है उससे साफ होता है कि भविष्य में उनके इरादें और भी खतरनाक होंगे और उससे निपटना कहीं ज्यादा मुश्किल होगा। सोचने वाली बात है कि जिस पाकिस्तान की सरजमीं ने आतंकवाद को…

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यही है आनन्द का सही और सुन्दर मार्ग

ललित गर्ग। हर इंसान चाहता है कि वह सफल हो, सुखी हो एवं सार्थक जीवन जीएं। उसके जीवन में प्रसन्नता हो, आनंद हो। इसका प्रभावी सूत्र यही है कि हम लोगों में अच्छाई तलाशें। बुराई को नकारने की आदत डाले। संभव है हमें घर-परिवार, पड़ोस और दफ्तर में कुछ लोग पसंद नहीं करते हो। इस सच्चाई को मानकर चलिये कि लगभग प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ अच्छाइयां भी होती ही हैं। हमेशा बुराइयों को ही न देखें। यदि हम उनकी अच्छाइयों पर ध्यान देकर उन्हें स्वीकारें तो हमारे प्रति उनका अप्रिय…

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ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के लिए आम जन की भागीदारी जरूरी

संजय त्रिपाठी। विश्व के समक्ष उत्पन्न विकट समस्या जलवायु परिवर्तन से बचाव के लिए पेरिस में राष्ट्रध्यक्षों की शिखर बैठक हुआ , लेकिन कोइ्र खास नतीजा सामने नहीं आया । हालांकि पिछले 23 वर्षो से लगातार ऐसे बैठकों का आयोजन किया जा रहा है , लेकिन समस्या आज भी ज्यों – की – त्यों बनी हुई है । हां , इतना जरूर हुआ है कि पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन दुनिया के समक्ष एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आया है । इस समस्या से सिर्फ राष्ट्रध्यक्षों व पर्यावरण विशेषज्ञों…

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जरूरत है सक्षम एवं सफल राजनीतिक नेतृत्व की

ललित गर्ग। नये वर्ष की शुरूआत के साथ ही राजनीति के लिये शुभ और मंगलकारी होने की ज्यादा जरूरत है। इसके लिये एक ऐसे राजनीतिक उभार एवं प्रभावी राजनीति नेतृत्व की जरूरत तीव्रता से महसूस की जा रही है। क्योंकि राजनीति की दूषित हवाओं ने स्वार्थों की धमाचैकड़ी मचा रखी है। एक ईमानदार और सक्षम नेतृत्व की तलाश जारी है। यह तलाश राजनीति के लिये ही नहीं धर्म, अर्थ, समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों के लिये अपेक्षित है। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आगमन से…

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सुख और दु:ख जीवन में साथ चलते हैं

ललित गर्ग। दुनिया का हर इंसान सुख चाहता है। दु:ख कोई नहीं चाहता। वह दु:ख से डरता हैं इसलिए दु:ख से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करता है। मतलब दु:ख को खत्म करने और सुख को सृजित करने के लिए हर इंसान अपनी क्षमता के मुताबिक हमेशा कुछ-न-कुछ करता है। सुख और दु:ख धूप- छाया की तरह सदा इंसान के साथ रहते हैं। लंबी जिन्दगी में ख_े-मीठे पदार्थों के समान दोनों का स्वाद चखना होता है। सुख-दु:ख के सह-अस्तित्व को आज तक कोई मिटा नहीं सका है। जीवन…

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