जन्मदिन पर विशेष: नेताजी की संघर्ष यात्रा

राजेन्द्र चौधरी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्म ग्राम सैफई जिला इटावा में 22 नवम्बर 1939 को एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता स्व. सुघर सिंह यादव अत्यन्त सरल हृदय किन्तु कर्मठ किसान थे। श्री यादव ने आगरा विश्वविद्यालय से एमए, बीटी की डिग्री ली। वह जैन इन्टर कालेज करहल मैनपुरी में प्रवक्ता भी रहे। इनका विवाह वर्ष 1957 में श्रीमती सामन्तश्री से हुआ जिनके पुत्र अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। श्री यादव बचपन से ही समाज…

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आईएसआईएस का अर्थशास्त्र नहीं है अस्वाभाविक

विचार डेस्क। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आतंकी संगठन आईएसआईएस को कई देशों से मदद मिलने की जो बात कही है, वह अस्वाभाविक नहीं लगती। इस संगठन का इतने समय तक इतना बड़ा इलाका कब्जा करके रहना और अपने गढ़ से हजारों मील दूर इतनी बड़ी कार्रवाइयों को अंजाम दे पाना बिना किसी बाहरी सहयोग के संभव नहीं है। पुतिन ने कहा है कि आईएसआईएस को 40 देशों से पैसा पहुंच रहा है, जिसमें जी-20 से जुड़े देश भी शामिल हैं। पुतिन ने यह भी कहा कि आईएसआईएस कच्चे…

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संस्कृति की बहस के बीच

अनंत विजय। भारतीय संस्कृति बनाम आयातित संस्कृति को लेकर देश में लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद और पूरे देश में वामपंथी पार्टियों के लगभग हाशिए पर जाने के बाद यह बहस और तेज हो गई है। वामपंथियों ने हमेशा लोकप्रिय संस्कृति को दूर रखने की कोशिश की। उसका प्रतिबिंब साहित्य में भी देखने को मिला। पॉपुलर कल्चर को इस तरह से पेश और स्थापित किया गया कि वो घटिया ही हो सकते हैं। जब भी संस्कृति के संदर्भ में…

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एकजुटता से ही परास्त होगा आतंकवाद

कृष्णमोहन झा। फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए भयावह आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर डाला है और संपन्न विकसित राष्ट्रों ने आतंकवाद को जड़मूल से समाप्त करने के लिए अपने-अपने तरीके से नया अभियान छेडऩे का जो सकल्प व्यक्त किया है उससे दुनिया के उन तमाम देशों को राहत महसूस हुई होगी जो बरसों से आतंकवाद का दंश झेल रहे हैं और जो देश आतंकवाद की भयावह छाया से बचे हुए है उनसे भी यह उम्मीद की जा सकती है कि वे भी आतंकवाद विरोधी अभियान का हिस्सा बनने…

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मुकाबले की सोच का कवच

पल्लवी सक्सेना। बलात्कार या बलात्कारी जैसा शब्द सुनकर अब अजीब नहीं लगता। कई बार तो एक स्त्री होने के बावजूद भी ऐसे विषयों को पढऩे का या इस विषय पर सोचने का भी मन नहीं करता। मैं अच्छी तरह जानती हूं कि जिस तन लागे वो मन जाने लेकिन हद हो गयी है अब तो। मेरे विचार से तो बलात्कार एक मानसिक विकृति के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। आप स्वयं ही देख लीजिये बलात्कार होना क्या होता है, से लेकर बलात्कार हो जाने तक सामाजिक डर में जीती एक स्त्री…

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