ललित गर्ग। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। अपने कार्य के प्रति समर्पण और उसके प्रति प्यार-ये दो ऐसे प्रमुख कारण हंै जो किसी भी व्यक्ति को सफल बना सकते हैं। सफलता और पुरस्कार ही जीवन की सार्थकता नहीं हो सकती। हां, इनका महत्व इतना जरूर है कि ये दोनों चीजें जीवन में आगे बढऩे के लिये प्रेरित करती हंै। प्राय: सभी के मन में विकास करने की तमन्ना रहती है। हरेक व्यक्ति के मन में वार्तमानिक स्थिति से ऊपर उठकर कुछ नया सृजन और नया निर्माण करने की ललक…
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घाटे के जरिये निवेश की तरकीब
अश्विनी महाजन। पिछले कुछ समय से ई-कामर्स ने जीवन में काफी सुविधा प्रदान की है। इंटरनेट द्वारा किसी वेब पोर्टल के माध्यम से जब किसी वस्तु अथवा सेवा की खरीद की जाती है तो इस प्रकार की खरीद-फरोख्त को ई-कॉमर्स कहते हैं। रेल टिकट बनवाना हो या हवाई यात्रा का टिकट, ई-कॉमर्स के माध्यम से मिनटों में सब काम हो जाता है। यहां तक कि किसी दूसरे शहर में होटल बुकिंग भी चुटकी भर में हो जाती है। कोई भी किताब खरीदनी हो या मोबाइल हैंड सेट, इलैक्ट्रॉनिक्स साजो-सामान या…
Read Moreपरम्पराओं की जंजीर में जकड़ी भारतीय नारी
आरती रानी प्रजापति। भारतीय समाज स्त्री को अनेक नियम कानूनों में बांध देता है ओर आश्चर्य की बात यह है कि स्त्री खुद अपने बंधन को नहीं जानती। भारतीय समाज में रखे जाने वाले व्रत इसी परम्परा की एक छोटी-सी कड़ी हैं जो वास्तव में स्त्री के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बचपन से स्त्री इस बात के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया जाता है कि वह अपने पति की होकर रहे। उसे बार-बार यह एहसास करवाया जाता है कि यह घर उसका नहीं वह…
Read Moreसेवानिवृत्ति के बाद पारदर्शी हो नियुक्ति
संगीता भटनागर। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग निरस्त होने के बावजूद उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर छिड़ी बहस थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में देश के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में खामियों से सहमति व्यक्त करते हुये सेवानिवृत्त की ओर अग्रसर न्यायाधीशों के संदर्भ में सुझाव दिया जो निश्चित ही बहुत महत्वपूर्ण है। संविधान पीठ के फैसले से उत्पन्न स्थिति के परिप्रेक्ष्य में एक टीवी चैनल पर हुई परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले सूचना एवं प्रसारण…
Read Moreताकि सबके लिए आसान हो सके उड़ान
विचार डेस्क। भारतीय सिविल एविएशन क्षेत्र ने उड़ान भरनी तो कब की शुरू कर दी है, पर अपने पंख वह आज भी पूरी तरह नहीं खोल पाया है। विकसित देशों की तुलना में यह कहीं नहीं ठहरता। आज भी भारत में 2 फीसदी से कम लोग हवाई यात्रा करते हैं, हालांकि यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बीते 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में घरेलू मुसाफिरों की संख्या में 13.9 प्रतिशत और विदेशी पैसंजर्स की संख्या में 9 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। सरकार पर नागरिक उड्डयन क्षेत्र…
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