शंभूनाथ शुक्ल। इस समय भी देश में अनगिनत पुल और इमारतें ऐसी हैं जो अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं और जर्जर अवस्था में खड़े हैं। वे किसी भी समय ध्वस्त हो सकते हैं और एक जरा-सा भी प्राकृतिक हादसा सैकड़ों लोगों की जान ले सकता है पर इसे लेकर शासन-प्रशासन किसी में भी फुर्ती नहीं दिखाई दे रही है। ताजा मामला मुंबई-गोवा हाईवे के महाड जिले के सावित्री नदी पर बने पुल के अचानक ध्वस्त हो जाने का प्रकाश में आया है। इसमें कितनी जानें गईं, यह अभी स्पष्ट…
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मुल्क को अराजक बना रहा राजनीति का अपराधीकरण
विमल शंकर झा। हाब्स ने कहा ने कहा था कि राज्य में प्रजा की खुशहाली के लिए राजा का नीति और नैतिक दृष्टि से मजबूत होना जरुरी है। यही बात कौटिल्य ने भी कही कि चंद्रगुप्त तुम कोई ऐसा काम न करना जिससे राज्य, राजा और प्रजा का मनोबल गिरे । सदियों बाद आज इस मामले में देश का राजनीतिक परिदृश्य कैसा है, यह दुनिया में जगजाहिर है। यदि किसी मुल्क के राजनीतिकों का सबसे ज्यादा नैतिक पतन हुआ है तो दुर्भागय से वह हमारा ही देश है। सियासी कौम…
Read Moreहम क्यों नहीं बन सकते जीनियस ?
ललित गर्ग। एक सूफी कहावत है कि खुद को बेहतर बनाना ही, बेहतर गांव, बेहतर शहर, बेहतर देश और बेहतर दुनिया बनाने की ओर पहला कदम होता है।Ó चाहता तो हर कोई बेहतर करना ही है, लेकिन बेहतर करने के लिये सबसे पहले इस बात की जरूरत है कि वह अपने आपको गंभीरता से लें। हम एक बार इतिहास में झांक कर देखें और अपने चारों ओर नजर दौड़ाकर देखें, हमें अनेक उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से लिया और एक नये इतिहास का सृजन कर दिया, असंभव को…
Read Moreफ्रेंडस दिवस विकास का दिशा-सूचक यंत्र है
ललित गर्ग। हमारे देश में अन्तर्राष्ट्रीय दिवसों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। प्राय: हर माह का प्रथम रविवार किसी-न-किसी दिवस से जुड़ा होता है। अगस्त का प्रथम रविवार अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडस दिवस के रूप में मनाया जाता है। वार्तमानिक परिवेश में मानवीय संवदेनाओं एवं आपसी रिश्तों की जमीं सूखती जा रही है ऐसे समय में एक दूसरे से जुड़े रहकर जीवन को खुशहाल बनाना और दिल में जादुई संवेदनाओं को जगाना है तो उनके लिये एक रिश्ता है दोस्ती का। प्रश्न उभरता है, आज मनुष्य-मनुष्य के बीच मैत्री-भाव का इतना…
Read Moreसोच-समझकर मित्र बनाओ : संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
कुछ स्थानों पर लोग एक उच्च किस्म के गुलाब के साथ निम्नतर किस्म का गुलाब का पौधा लगा देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि निम्नतर किस्म के गुलाब का परागण ;च्वससपदंजपवदद्ध अपने ही परागों से न हो जाए ताकि निम्नतर किस्म के गुलाब का वंष न चलता रहे। इस धारणा को यह रूपरेखा दी गई है ताकि परागण उच्चतर किस्म के गुलाबों से हो और निम्नतर किस्म के गुलाब का स्तर ऊँचा हो सके। यह सिद्धांत हमारे अपने जीवन में भी हमारा मार्गदर्षन कर सकता है। यह कहा…
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